DNA: दुनिया का इकलौता शहर, जहां श्मशान की राख से खेली जाती है होली; मिट जाता है मृत्यु और शोक का भय
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DNA: दुनिया का इकलौता शहर, जहां श्मशान की राख से खेली जाती है होली; मिट जाता है मृत्यु और शोक का भय

DNA Analysis: होली बस अब आने ही वाली है. इस होली पर सब रंग-गुलाल लगाकर एक-दूसरे को पर्व की बधाई देते हैं. लेकिन एक दुनिया में एक शहर ऐसा भी है, जहां होली श्मसान की राख से खेली जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से दुख और मृत्यु का भय मिट जाता है. 

DNA: दुनिया का इकलौता शहर, जहां श्मशान की राख से खेली जाती है होली; मिट जाता है मृत्यु और शोक का भय

Shamshan Holi in Kashi: बात उस होली की, जो पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही शहर में खेली जाती है. ये शहर है काशी, जहां श्मशान घाट पर खेली जाने वाली मसाने की होली दुनिया भर में मशहूर है. ऐसी होली जो मृत्यु का भय खत्म कर भक्तों को उनके आराध्य शिव के और करीब ले जाती है.

ये काशी की होली है. जहां मृत्यु भी एक उत्सव है. तस्वीरें देखकर आपको अंदाजा हो गया होगा कि ना सिर्फ ये होली खास है बल्कि इसे खेलने वाले भी खास हैं. रंगों की जगह चिता की राख उड़ रही है. गुलाल की जगह भस्म लगाया जा रहा है और उल्लास में गूंज रही हैं तांत्रिक मंत्रों की ध्वनियां. ये मसाने की होली है. जो काशी के हरिशचन्द्र घाट पर खेली जा रही है.

जहां श्मशान की राख से खेली जाती है होली

कोई चेहरे पर राख मल रहा है तो कोई चिता की भस्म से नहाया हुआ है. सड़कें राख से पट गईं हैं. भीड़ इतनी है कि पैर रखने तक की जगह नहीं है. एक तरफ चिताओं से उठता धुआं है तो दूसरी तरफ चिता की राख से होली खेली जा रही है यानी खुशी और गम साथ-साथ. इसीलिए मसाने की होली को चिता भस्म की होली भी कहा जाता है.

पूरी दुनिया में काशी ही इकलौता ऐसा शहर है. जहां मसान की होली खेली जाती है. चिता भस्म की होली पर काशी विश्वनाथ के भक्त जमकर झूमते हैं. चिता की उड़ती राख के बीच हर हर महादेव के नारे गूंजते रहते हैं.

मिट जाता है मृत्यु का भय

मसाने की होली केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि शिव की अलौकिक लीला का हिस्सा है..जहां मृत्यु का भय मिट जाता है और आत्मा मोक्ष की ओर बढ़ती है. रंगो और अबीर-गुलाल की जगह चिता भस्म से होली जीवन मृत्यु के चक्कर को स्वीकारने की प्रतीक है.

शिव की औघड़ पंरपरा का उदाहरण 

मसाने की होली के दौरान मंत्रोच्चार, डमरू और शंख की ध्वनि गूंजती रहती है..ये होली ये शिव की तांत्रिक और औघड़ पंरपरा का जीवंत उदाहरण है. ये सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है. जो इंसान को मृत्यु का भय छोड़कर जीवन को खुलकर जीने का संदेश देती है..इसे खेलकर भक्त खुद को शिव के और करीब पाता है..यहां मृत्यु उत्सव बन जाती है और डर भक्ति में बदल जाता है.

(विशाल रघुवंशी की रिपोर्ट)

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