नई दिल्ली. 25 नवंबर यानी बुधवार को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2020) का पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसे देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2020) भी कहते हैं. हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का बेहद महत्व है और इसे सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है.


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इसलिए मनाया जाता है पर्व


शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद वे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही जागते हैं. इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु के निद्रा से जागने के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. इस दिन उपवास रखना बेहद शुभ माना जाता है.


इस साल यह एकादशी 25 नवंबर को है और इसका समापन 26 नवंबर यानी बृहस्पतिवार को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के साथ किया जाएगा.


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देवउठनी एकादशी पर इन बातों का रखें ध्यान


देवउठनी एकादशी पर निर्जल या जलीय पदार्थों पर उपवास रखना फलदायी माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति बीमार या वृद्ध है तो वह एक वक्त फलाहार का सेवन कर सकता है. इस दिन भूलकर भी नमक और चावल का सेवन न करें. साथ ही प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा से दूरी बनाकर रखें.


इन चीजों का सेवन करने से भगवान विष्णु आपसे नाराज हो सकते हैं. इसलिए देवोउत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना जरूर करें और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें.


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पूजा की सामग्री व विधि


देवउठनी एकादशी पर पूजा के स्थान को गन्नों से सजाते हैं. इन गन्नों से बने मंडप के नीचे भगवान विष्णु की मूर्ति रखी जाती है. साथ ही पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु को जगाने की कोशिश की जाती है. इस दौरान पूजा में मूली, शकरकंदी, आंवला, सिंघाड़ा, सीताफल, बेर, अमरूद और अन्य मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं. साथ ही शंख और घंटा बजाकर कीर्तन किया जाता है. इसके बाद उपवास की कथा सुनते हैं.


देवउठनी एकादशी पर करें ये विशेष कार्य


देवउठनी एकादशी पर घर में शंख लाना और उसकी स्थापना करना शुभ माना जाता है. इस दिन मध्यरात्रि में पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही किसी गरीब को अन्न, वस्त्र और धन दान देना न भूलें. 


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