Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, बनेंगे बिगड़े काम
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Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, बनेंगे बिगड़े काम

सनातन परंपरा में किसी भी कार्य का शुभारंभ गणपति बप्पा के पूजन से होता है. भगवान गणेश की पूजा की विधि बहुत ही सरल है.

भगवान गणेश.

नई दिल्ली: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ था. इस दिन को सनातन परंपरा में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के रूप में हर साल मनाया जाता है. इस साल ये पावन तिथि 21 अगस्त 2020 को रात्रि 11:02 बजे से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2020 को शाम 07:57 बजे तक रहेगी. ऐसे में इस बार ये पावन पर्व 22 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा. इसी दिन पूरे देश में गणपति उत्सव शुरू हो जाएगा. 

सनातन परंपरा में किसी भी कार्य का शुभारंभ गणपति बप्पा के पूजन से होता है. भगवान गणेश की पूजा की विधि बहुत ही सरल है. गणपति भगवान गुणों की खान हैं. अगर आप उन्हें सिर्फ हरी दूब यानी घास भी चढ़ा दें तो वो प्रसन्न होकर आपके सारे विघ्न-बाधाएं हर लेते हैं. गणपति बप्पा की कृपा मिलते ही बिगड़े काम बन जाते हैं. श्री गणेश जी शुभ और लाभ दोनों का आशीर्वाद देने वाले देवता हैं. आइए गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा के पूजन की विधि जानते हैं-

गणपति पूजन की सरल विधि
मान्यता है कि गणपति बप्पा का जन्म दोपहर के समय हुआ था. ऐसे में श्री गणेश जी का पूजन 22 अगस्त को दोपहर में करें. गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: काल स्नान-ध्यान करके गणपति बप्पा के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें. फिर गंगाजल या फिर शुद्ध जल छिड़कने के बाद दोनों हाथ से भगवान गणेश का आह्वान करें और अपने पूजा घर में पधारने का अनुरोध करें. मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें और फिर भगवान गणेश के माथे पर सिंदूर से टीका लगाएं. इसके बाद गणपति बप्पा को उनके सबसे प्रिय मोदक यानी लड्डू, पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और 21 दूर्वा चढ़ाएं. गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करते समय नीचे दिए गए मंत्रों को पढ़ें-

‘ॐ गणाधिपताय नमः।’ 
‘ॐ विघ्ननाशाय नमः।’
‘ॐ ईशपुत्राय नमः।’
‘ॐ सर्वसिद्धाय नमः।’
‘ॐ एकदंताय नमः।’
‘ॐ कुमार गुरवे नमः।’
‘ॐ मूषक वाहनाय नमः।’
‘ॐ उमा पुत्राय नमः।’
‘ॐ विनायकाय नमः।’
‘ॐ इषक्त्राय नमः।’

प्रत्येक मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं. इस प्रकार कुल बीस दूर्वा चढ़ जाएंगी. इसके बाद 21वीं दूर्वा को इन सभी मंत्रों को एक बार फिर एक साथ बोलकर पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ाएं. फिर बिल्कुल इसी तरह 21 लड्डुओं को भी श्री गणेश जी को अर्पित करें.

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पूजन के बाद पांच लड्डू प्रतिमा के पास छोड़ दें. पांच लड्डू ब्राह्मणों को दें और शेष प्रसाद के रूप में अपने परिवार में बांट दें. यदि आपको ज्यादा प्रसाद बांटना है तो आप अलग से भगवान को भोग लगाकर अधिक लड्डू प्रसाद के रूप में बांट सकते हैं. गणेश चतुर्थी के दिन इस विधि से गणपति की पूजा करने से निश्चित रूप से आप पर उनकी कृपा बरसेगी और आपके सभी काम निर्विघ्न रूप से पूरे होंगे.

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