2 सितंबर को सोमवार और हरितालिका तीज होने से गणेश चतुर्थी की महत्ता और अधिक है.
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नई दिल्ली: वैसे तो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गजानन का व्रत पूजन किया जाता है. लेकिन भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का महत्व सबसे अधिक होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवों में प्रथम पूज्य भगवान लंबोदर का जन्म हुआ था. इस बार 2 सितंबर गणेश उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन सोमवार और हरितालिका तीज होने से इसकी महत्ता और अधिक है. 10 दिन तक चलने वाले इस महापर्व का समापन अनन्त चतुर्दशी के दिन होता है.
कैसे करें गणेश पूजन
ज़ी न्यूज से बातचीत में आचार्य कमल नयन तिवारी ने बताया कि सोमवार को दोपहर बाद शुभ मुहूर्त में गणपति की प्रतिमा को विराजित करें. साथ ही रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक एक मंगल कलश या फिर एक-एक सुपारी रख दें. इसके बाद उन्हें फूल का आसन दें और फिर उन्हें पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं. गणेश जी की प्रतिमा यानी मूर्ति मिट्टी की होने पर उनके विग्रह के रुप में सुपारी रख कर उस पर स्नान कराएं और फिर साफ वस्त्र को गंगाजल से हल्ला भिंगोकर मूर्ति को साफ कर लें.
इसके बाद वस्त्र, आभूषण चढ़ाएं. तिलक, सिंदूर चढ़ाएं और फिर यज्ञोपवीत यानी जनेऊ, दूर्वा, इत्र, माला-फूल चढ़ाएं और फिर धूप, दीपक दिखाएं, इसके बाद भोग लगाएं. यही नहीं भोग लगाने के बाद गणेश जी को मीठा पान जरूर चढ़ाएं. साथ इसके बाद दक्षिणा चढ़ाकर इस मंत्र से उनकी स्तुति करें.
व्रकतुंड महाकाय, कोटि सूर्य समप्रभ:, निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येरुषु सवर्दा.
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्.
गजानन को क्या चढ़ाएं
भगवान एकदंत जी के पूजन में कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी होता है. खासकर दूर्वा यानी दूब घास, जनेऊ, लाल चंदन, लाल सिंदूर, गेंदे का फूल, लाल गुड़हल का फूल, अर्क का फूल, केवड़े का इत्र चढ़ाने से गणपति महाराज जल्द प्रसन्न होते हैं.
भोग में रखे ध्यान
विघ्नहर्ता को केले के फल के साथ-साथ अनार का फल जरूर चढ़ाएं. वहीं, मिष्ठान्न में गजानन महाराज को मोदक विशेष प्रिय हैं, इसके साथ ही लड्डू भी उन्हें बहुत भाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी घर में विराजते हैं. इन दिनों में परिवार के सदस्य, विशेष मेहमान के रूप में इनका ध्यान रखा जाता है. हर रोज तीन समय भोग लगाना चाहिेए. साथ ही सभी दिन दूर्वा, इत्र, फूल-फल भोग और आरती करें.
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||