मान्याता है कि जो पुण्य श्रद्धालु को सभी तीर्थ करने से मिलता है उससे कहीं अधिक गंगासागर की तीर्थ यात्रा एकबार करने से मिल जाता है. इतना ही नहीं गंगासागर स्नान से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है.
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नई दिल्ली: सभी तीर्थों में गंगासागर (Ganga Sagar) को बेहत खास महत्व दिया गया है. धार्मिक मान्यता है कि गंगासागर स्नान (Ganga Sagar Mela 2022) जैसा पुण्य अन्य किसी तीर्थ से नहीं मिलता है. दरअसल गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल में पैष मास में लगता है. इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. आगे जानते हैं कि गंगासागर तीर्थ क्यों खास है.
गंगासागर तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि 'सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एकबार'. इस कहावत के पीछे मान्याता है कि जो पुण्य श्रद्धालु को सभी तीर्थ करने से मिलता है उससे कहीं अधिक गंगासागर की तीर्थ यात्रा एकबार करने से मिल जाता है. गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे लगता है. यहां गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी का मिलन होता है. इसलिए इसे गंगासागर कहते हैं.
वैसे तो गंगासागर मेला 8 जनवरी से शुरू है, लेकिन 14 जनवरी के दिन इस मेले में बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगासागर में स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है. इस बार गंगासागर स्नान-मेला 16 जनवरी तक रहेगा.
मकर संक्रांति पर गंगासागर स्नान का पौराणिक महत्व भी है. कहते हैं कि जब गंगा शिवजी की जटा से निकलकर धरती पर बहते हुए ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी, वह मकर संक्रांति का दिन था. माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा कपिल मुनि के श्राप के कारण राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को सद्गति प्रदान करके सागर मिली थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)