किसी की मृत्यु होने पर 13 दिनों तक शोक मनाया जाता है. इन दौरान घर में 13 दिन तक गरूड़ पुराण (Garuda Purana) का पाठ रखा जाता है. इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है.
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नई दिल्ली: भारतीय समाज में किसी की मृत्यु होने पर 13 दिनों तक शोक मनाया जाता है. इन दौरान घर में 13 दिन तक गरूड़ पुराण (Garuda Purana) का पाठ रखा जाता है. ऐसा करने से आत्मा सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परलोक को गमन कर लेती है.
धर्म शास्त्रों के अनुसार शरीर के अंत के बाद कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा शरीर धारण कर लेती है. जबकि किसी को 3 से लेकर 13 दिन तक लगते हैं. अगर किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उसकी आत्मा को दूसरा जन्म लेने के लिए कम से कम एक वर्ष लगता है. तीसरे वर्ष गया में उसका अंतिम तर्पण किया जाता है.
मृतक की आत्मा न भटके और उसे मोक्ष प्राप्त हो, इसके लिए मृत्यु के बाद 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ करवाना जरूरी माना जाता है. आइये इस बारे में और विस्तार से जानते हैं.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में हमारे जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है. जिनके बारे में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए. गरूड़ पुराण के उन्नीस हजार श्लोक में से बचे सात हजार श्लोक में गरूड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है.
इस पुराण में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिए अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है. यह सभी बातें मृतक और उसके परिजन जानकर अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं.
शरीर के अंत के बाद आत्मा को आगे की यात्रा में किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा. कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है. यह सभी बातें वह गरुड़ पुराण सुनकर जान लेता है.
जिस घर में गरुड़ पुराण (Garuda Purana) का पाठ होता है. वहां पर मृतक के परिजन यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है. इसके बाद मृतक के परिजन उच्च लोक की यात्रा करने के लिए अपने कर्मों में सुधार की कोशिश शुरू कर देते हैं.
गरुड़ पुराण में आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) का पाठ सुनने से ही मृतक आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है. वह अपने सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग पर चलकर सद्गति प्राप्त कर या तो पितरलोक में चला जाता है या पुन: मनुष्य योनी में जन्म ले लेता है. उसे प्रेत बनकर भटकना नहीं पड़ता है.
गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है. इसीलिए यह पुराण मृतक को सुनाया जाता है. 13 दिनों तक मृतक अपनों के बीच ही रहता है. इस दौरान गरुढ़ पुराण का पाठ रखने से वह स्वर्ग-नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि तरह की गतियों के बारे में जान लेता है.
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गरुड़ पुराण (Garuda Purana) हमें सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है. सत्कर्म और सुमति से ही सद्गति और मुक्ति मिलती है. गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरुप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार कौनसी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं इस बात का उत्तर भगवान विष्णु ने दिया है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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