गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में जीवन को बेहतर तरीके से जीने की नीतियों के बारे में उल्लेख किया गया है. इसके मुताबिक हमें कुछ कामों से वक्त रहते दूरी बना लेनी चाहिए.
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नई दिल्ली: भारतीय धर्म शास्त्रों में जीवन के बारे में काफी कुछ कहा गया है. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) की बात करें तो उसमें जीवन को बेहतर तरीके से जीने की तमाम नीतियों के बारे में उल्लेख किया गया है.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के आचारकांड के मुताबिक हमारे लिए कुछ काम करना निषिद्ध हैं. ऐसा न करने पर हमारे जीवन पर संकट आ सकते हैं. इसलिए वक्त रहते ही इन कार्यों से दूर हो जाना चाहिए अन्यथा इसका अंजाम हमें भुगतना पड़ सकता है.
आप जब भी किसी के दाह संस्कार में शामिल होने जाएं तो वहां से जल्दी निकलने की कोशिश करें. इसकी वजह ये है कि मरने के बाद शव में कई तरह के बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं. दाह संस्कार के समय ये बैक्टीरिया हवा में उड़कर आपके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. श्मशान घाट में एक नहीं बल्कि अनेक अन्य चिता भी जलती रहती हैं. इसलिए थोड़ी देर बाद आप वहां से निकल लें.
दही खाना हमारे भोजन का अहम हिस्सा है. हालांकि इसे खाने के लिए एक निश्चित समय है. अगर आप रात में दही का सेवन करेंगे तो बीमार हो सकते हैं. इसका कारण ये है कि दही की प्रकृति ठंडी मानी जाती है. जबकि रात में मौसम भी ठंडा हो जाता है. अगर में अगर आप रात को दही का सेवन करते हैं तो शरीर उसे आसानी से पचा नहीं पाता है. जिससे व्यक्ति बीमार हो सकता है.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के मुताबिक रोजाना सूरज उगने से पहले उठना बहुत जरूरी है. ऐसा करने से आपके शरीर को ताजी सांस मिलती है. जिससे आपके फेफड़े फिट रहते हैं. इसका असर आपके पाचन तंत्र और फिटनेस पर भी पड़ता है.
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अगर आप मांसाहारी हैं तो कभी भी रखे हुए मांस का प्रयोग न करें. रखे हुए मांस पर कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं. कई बार मीट को पकाने पर भी वह बैक्टीरिया खत्म नहीं हो पाते. ऐसे में उनका सेवन करने पर आपका शरीर रोगों का शिकार हो सकता है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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