Life Lessons from Karna: सनातन धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक मानी जाती है. इसमें कुल 800 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है. गीता उपदेश में वर्णित बातों को जो व्यक्ति अपने जीवन में अपनाता है उसे हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है. वहीं, जहां महाभारत की बात होती है वहां कौरव और पांडवों के अलावा दानवीर कर्ण के बारे में भी जिक्र हमेशा किया जाता है. इसी के चलते आज हम आपको कर्ण के अनमोल गुणों के बारे में बताएंगे जिन्हें व्यक्ति को जीवन में जरूर अपनाना चाहिए.


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दानवीर बनें
कर्ण ने कभी भी दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों. कवच और कुण्डल दान करते वक्त कर्ण ने दानवीरता का परिचय दिया था. एक बार इंद्र वेश बदल कर ब्रह्मा जी के रूप में आए, उस समय कर्ण सूर्य की उपासना कर रहे थे. ब्रह्मा जी के वेश में आए इंद्र ने कर्ण से कवच और कुण्डल की मांग की. लेकिन सूर्य ने कवच और कुण्डल देने से मना किया था. जिस तरह कर्ण किसी को भी दान के लिए मना नहीं करते थे उसी तरह उन्होंने कवच और कुण्डल का भी दान कर दिया ये जानते हुए कि उसके बदले उनको अपनी जान भी गवानी पढ़ सकती है. इसी तरह व्यक्ति को जरूरतमंदों की मदद करने में पीछे नहीं हटना चाहिए. अपनी क्षमता के अनुसार दान जरूर करें.



कठिन समय में निभाएं मित्रता
दानवीर कर्ण अपने मित्र दुर्योधन के लिए हमेशा ईमानदार और वफादार बने रहे, चाहे कोई भी विपरीत स्थिति क्यों न आई हो. इसी तरह व्यक्ति को भी मुश्किलों में, परेशानियों और कठिन समय में अपने मित्रता निभानी चाहिए और पीछे नहीं हटना चाहिए.


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गुरु का सम्मान करें
कर्ण से इंसान को ये सीखना चाहिए कि हमेशा शिक्षा देने वाले गुरु का आदर-सत्कार और सम्मान करना चाहिए. माता-पिता के बाद जो व्यक्ति को सही रास्ता दिखाता है वह केवल गुरु होता है. जीवन में सफलता पाना चाहते हैं को अपने गुरु को कभी भूलना नहीं चाहिए न ही अपमान करना चाहिए.



वचन देने के बाद मुकरे नहीं
कर्ण से व्यक्ति को ये सीख मिलती है कि अगर आपने किसी को वचन दिया है तो बाद में उससे मुकरना नहीं चाहिए. उस वचन से अब आपको नुकसान हो या फायदा लेकिन पीछे नहीं हटना चाहिए. इस कारण हमेशा ऐसे वचन दें जिन्हें आप पूरा भी कर सकें.