व्रतों के दान से दूर होंगे दु:ख और मंत्र से पूरी होगी मनोकामनाएं
सही मायने में व्रत न सिर्फ अपने आराध्य को प्रसन्न करके दैविक लाभ पाने के लिए किया जाता है बल्कि यह तन—मन की शांति और सुख का कारक भी है. यह ईश्वर या कहें परम सत्ता के प्रति की जाने वाली भक्ति का प्रतीक है.
नई दिल्ली: सनातन परंपरा में की जाने वाली पूजा—पाठ, जप—तप आदि की तरह व्रत का और दान का अत्यंत महत्व है. वैसे व्रत एवं दान की परंपरा दुनिया के अन्य धर्मों में भी देखने को मिलती है लेकिन सनातन परंपरा में यह मानों उसके प्राण हैं. वैसे देखा जाए तो कुछ लोग व्रत आस्था के चलते रखते हैं तो वहीं कुछ लोग बेहतर स्वास्थ्य के लिए तो वहीं कुछ लोग मानसिक शांति और मनोकामना की पूर्ति के लिए रखते हैं. सही मायने में व्रत न सिर्फ अपने आराध्य को प्रसन्न करके दैविक लाभ पाने के लिए किया जाता है बल्कि यह तन—मन की शांति और सुख का कारक भी है. यह ईश्वर या कहें परम सत्ता के प्रति की जाने वाली भक्ति का प्रतीक है.
आइए जानते हैं कि आखिर सप्ताह के सात दिनों में किए जाने वाले किस व्रत के दान और मंत्र से दैवीय कृपा शीघ्र प्राप्त होती है —
रविवार का व्रत — भगवान सूर्य को समर्पित इस व्रत को करने से रोग, शोक और शत्रु भय दूर होता है. सुख—समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस व्रत में भगवान के मूल मंत्र 'ओम घृणि सूर्याय नम:' का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती है.
सोमवार का व्रत — चंद्र देव को समर्पित सोमवार का व्रत रखने से सबसे पहने मन की शांति मिलती है क्योंकि चंद्रमा मन के देवता हैं. साथ ही इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली, व्यापार में लाभ, आदि भी मिलता है. मनोकामना को पूरा करने के लिए सोमवार को चंद्र देव के 'ॐ चं चंद्रमसे नम:' का जाप करें.
मंगलवार का व्रत — मंगल देवता की कृपा दिलाने वाले व्रत को करने से भूमि और भवन का सुख प्राप्त होता है. मंगलदेव के व्रत से शत्रुओं पर विजय, पुत्र की प्राप्ति, वाहन आदि का भी सुख मिलता है. मंगलदेव को प्रसन्न करके मनवांछित फल पाने के लिए 'ॐ अंगारकाय नम: ' मंत्र का जप करना चाहिए.
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बुधवार का व्रत — बुधवार व्रत के प्रभाव से व्रती को व्यापार में लाभ, बुद्धि का विकास, संतान की प्राप्ति, कार्यों में प्रगति मिलती है. इस व्रत की शुरुआत किसी भी मास के प्रथम बुधवार से या शुक्लपक्ष के प्रथम बुधवार से करनी चाहिए. बुध देव की कृपा पाने के लिए 'ॐ बुं बुधाय नम:' का जाप करना चाहिए.
बृहस्पतिवार का व्रत — देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए किया जाने वाला यह व्रत साधक को ज्ञान, मान—सम्मान और धनवान बनाता है. बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए विधि—विधान से व्रत रखते हुए 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए.
शुक्रवार का व्रत — जीवन में तमाम तरह के भौतिक, वैवाहिक और कला आदि के सुख शुक्र की कृपा से ही प्राप्त होते हैं. इन सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए किसी भी मास के प्रथम शुक्रवार या शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से यह व्रत शुरु किया जा सकता है. साथ ही शुक्रदेव की कृपा से मनोकामना की शीघ्र पूर्ति के लिए 'ॐ शुं शुक्राय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए.
शनिवार का व्रत — शत्रु और विपत्तियों से बचाने के लिए, अल्पायु में मृत्यु से बचाने के लिए, लोहा, मशीन आदि से संबंधित कार्यों में सफलता दिलाने के लिए शनिवार का व्रत अति उत्तम माना गया है. शनिदेव को समर्पित इस व्रत में 'ॐ शं शनये नम:' मंत्र का जप करने से शनिदेव शीघ्र ही प्रसन्न होकर व्रती की सभी इच्छाएं शीघ्र ही पूरी करते हैं.