इन 8 दिनों में गलती से भी न करें ये काम, वरना सालों तक नहीं उबर पाएंगे नुकसान से!
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इन 8 दिनों में गलती से भी न करें ये काम, वरना सालों तक नहीं उबर पाएंगे नुकसान से!

होलिका दहन से पहले फाल्‍गुन मास के शुक्‍ल पक्षी की अष्‍टमी से लेकर होलिका हदन तक 8 दिन के होलाष्‍टक होते हैं. इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए.

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली: हर साल हमारे देश में होली का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है. इस साल 17 मार्च की रात को होलिका दहन होगा और 18 मार्च को होली का त्‍योहार मनाया जाएगा. इससे पहले 10 मार्च  से 17 मार्च तक होलाष्टक रहेंगे. इन 8 दिनों के होलाष्‍टक के दौरान कुछ काम करने की मनाही होती है. 

  1. 10 मार्च से 17 मार्च तक रहेंगे होलाष्‍टक 
  2. इन 8 दिनों में न करें शुभ काम 
  3. मिलता है अशुभ फल 

होलाष्‍टक में क्‍यों नहीं करते शुभ काम 

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को शास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है. होलाष्टक शब्द दो शब्दों का संगम है. होली और आठ अर्थात 8 दिनों का पर्व. यह अवधि इस साल 10 मार्च  से 17 मार्च तक अर्थात होलिका दहन तक है. इन होलाष्‍टक के दौरान गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी बातें, सगाई-शादी, कोई नए काम की शुरुआत, नींव रखना, नया वाहन लेना, आभूषण खरीदना, नया व्यवसाय आरंभ करने जैसे शुभ-मांगलकि काम नहीं किए जाते हैं. इस समय में ये काम करना अशुभ फल देता है. 
 
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...इसलिए होलाष्‍टक में नहीं करते शुभ काम 

होलाष्‍टक में शुभ काम न करने को लेकर ज्‍योतिषाचार्य मदन गुप्‍ता सपाटू कहते हैं कि इसके पीछे ज्योतिषीय एवं पौराणिक दोनों ही कारण हैं. एक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था. कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की जो उन्होंने स्वीकार कर ली . महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत होलिका दहन के दिन हो गया. इस कारण यह 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए.

वहीं ज्योतिषीय कारण की बात करें तो ज्योतिष के अनुसार, अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, तथा पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव के हो जाते हैं. इन ग्रहों के निर्बल होने से मानव मस्तिष्क की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है और इस दौरान गलत फैसले लिए जाने के कारण हानि होने की संभावना रहती है. विज्ञान के अनुसार भी पूर्णिमा के दिन ज्वार भाटा , सुनामी जैसी आपदा आती रहती हैं या पागल व्यक्ति और उग्र हो जाता है. ऐसे में सही निर्णय नहीं हो पाता. इसलिए इन 8 दिनों में कोई भी अहम काम करने से बचना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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