बेहद चमत्कारी तरीके से एमपी के इस शहर में स्थापित हुई खाटू श्याम बाबा की मूर्ति, दर्शन मात्र से हर इच्छा हो जाती है पूरी
Khatu Shayam Temple In Indor: राजस्थान के खाटू श्याम बाबा लोगों के बीच काफी प्रचलित हैं. दूर दूर से पहुंचने वाले भक्त यहां पर अपनी हर समस्या का हल पा लेते हैं. बता दें कि केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में भी खाटू श्याम बाबा के दर्शन किए जा सकते हैं.
Khatu Shayam Temple Unique Story: राजस्थान के सीकर जिले में स्थापित खाटू श्याम बाबा अपने भक्तों के बीच काफी प्रचलित हैं. भक्त इन्हें हारे का सहारा भी मानते हैं. दरअसल यहां पर वह व्यक्ति आता है जो हर जगह से थक हार गया हो और उसकी मनोकामना आखिर में यहीं पर पूरी होती हैं. इसलिए खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा भी बोला जाता है.
वैसे तो राजस्थान का खाटू श्याम मंदिर लोगों के बीच काफी प्रचलित है पर मध्यप्रदेश के इंदौर शहर का भी खाटू श्याम मंदिर अब लोगों में आस्था का केंद्र बन गया है. आइए विस्तार में ये जानते हैं कि राजस्थान के अलावा इंदौर का यह खाटू श्याम मंदिर कैसे लोगों के बीच प्रचलित हुआ और यहां इसकी स्थापना कैसे हुई!
भक्ती पर विश्वास को बढ़ाती है इस मंदिर की स्थापना
इंदौर के सुभाष सिंह हाड़ा जो अब इस दुनिया में नहीं हैं वह खाटू श्याम के बहुत बड़े भक्त थे. दरअसल उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी. उनकी मृत्यु कोविड की सेकंड वेव में ही हो गई थी.
भक्त के अथक प्रयास ने की मंदिर की स्थापना
खाटू श्याम का यह मंदिर इंदौर के कबीर खेड़ी में स्थापित है. जिसकी स्थापना कई वर्षों पहले ही हुई थी. इस मंदिर को स्थापित करने के पीछे एक रोचक कहानी है. जो भक्त के भगवान पर विश्वास के बारे में बताती है. सुभाष की पत्नी नीलम हाड़ा ने इस मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी के बारे में बताया कि उनके पति को तंत्र, अंधविश्वास और टोना पर अंधा विश्वास था.
इसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इस दौरान उनकी मुलाकात एक दोस्त से हुई जो सुभाष को राजस्थान के खाटू श्याम ले गए. उसके बाद से ही उनका टोना टोटका प्रकार की चीजों से पीछा छूट गया. जिसके बाद उनकी हालत में सुधार आने लगा. एक बार वह किसी कारण से खाटू श्याम नहीं जा पाए. जिसके बाद सुभाष निराश हो गए. जिसके बाद उन्होंने इंदौर में ही खाटू श्याम मंदिर बनाने का फैसला ले लिया.
आसान नहीं था मंदिर की स्थापना
आगे सुभाष जी के ही एक दोस्त मुकेश चौकसे ने बताया कि मंदिर की स्थापना के दौरान जब घर में मूर्ति को लाया गया तो उनकी स्थापना के बाद वह वहीं पर हमेशा के लिए ही स्थापित हो गई. भरसक प्रयास के बाद भी मूर्ति को वहां से हिलाया भी नहीं जा सका. जिसके बाद सुभाष ने अकेले ही इस मंदिर को स्थापित करने का प्रण ले लिया. इस दौरान उन्हें कई प्रकार की कठीनाईयों का सामना करना पड़ा.
उसके बाद ही यहां पर मंदिर की स्थापना हो पाई. वह अब राजस्थान के बजाय यहीं पर खाटू श्याम के दर्शन करने लगे. उनकी यहां सभी मुरादे भी पूरी होने लगी. उनका मानना था जो राजस्थान जाने में असमर्थ हैं वो यहां खाटू श्याम के दर्शन कर सकते हैं. जिसके बाद से ही यहां पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. खाटू श्याम दिवस और त्योहार के दिन यहां पर आकर्षक श्रृंगार किया जाता है, जिसकी भव्यता देखते बनती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)