कोरोना के चलते इस साल कैलाश कुंड यात्रा रद्द, सिर्फ इस बात की मिलेगी अनुमति
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कोरोना के चलते इस साल कैलाश कुंड यात्रा रद्द, सिर्फ इस बात की मिलेगी अनुमति

कैलाश कुंड यात्रा जम्मू के दो मार्गों छत्तरगला, हायान और कश्मीर के भदेरवाह से 8 अगस्त को शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते इसमें लगातार देरी होती रही.

कोरोना के चलते इस साल कैलाश कुंड यात्रा रद्द, सिर्फ इस बात की मिलेगी अनुमति

नई दिल्ली: समुद्र तल से 74,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश कुंड की यात्रा इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते रद्द कर दी गई है. एक अधिकारी ने गुरुवार को ये जानकारी दी. 

10 दिन की यह तीर्थ यात्रा कम करके अब केवल 3 दिन की कर दी गई है और केवल छड़ी मुबारक की अनुमति दी गई है. पारंपरिक हिमालयी रास्ते से छड़ी मुबारक को ही कैलाश कुंड झील तक ले जाने की अनुमति होगी.

कैलाश कुंड यात्रा जम्मू के दो मार्गों छत्तरगला, हायान और कश्मीर के भदेरवाह से 8 अगस्त को शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते इसमें लगातार देरी होती रही.

भदेरवाह के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर राकेश कुमार ने बताया, ‘हालातों और मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) के चलते जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कैलाश सेवा संघ, सनातन धर्म सभा, धर्मार्थ ट्रस्ट और वासुकी अन्नापूर्णा लंगर के साथ चर्चा करने के बाद ये फैसला किया गया है कि इस साल कैलाश कुंड यात्रा को रद्द कर देना चाहिए. और इसे रद्द करने पर हमें खेद है.

कुमार आगे कहते हैं, ‘लोगों की भावनाओं को देखते हुए, खासतौर पर वो जो नाग भक्त हैं, हमने तय किया है कि ‘छड़ी मुबारक’ शोभायात्रा को पुजारी के साथ सारे रस्म रिवाजों को निभाते हुए कैलाश कुंड (पवित्र झील) तक की इजाजत दे दी जाए. पारम्परिक रस्म रिवाज वैसे ही किए जाएंगे, जैसे कि पहले होते आए हैं.

वो आगे बताते हैं कि छड़ी मुबारक जुलूस जो 16 अगस्त को कश्मीर के भदेरवाह से शुरू होगा और 18 अगस्त को कैलाश कुंड पहुंचेगा. इस दौरान पूरी व्यवस्था सरकार की तरफ से की जाएगी.

नाग देवता की पवित्र छड़ी का जुलूस जो गाथा के नाग मंदिर से शुरू होगा, रास्ते में वास्का डेरा से आने वाले एक और जुलूस में शामिल हो जाएगा. कुंड 1.5 मील के घेरे में ठंडे और एकदम साफ पानी की झील है, जो समुद्र तल से 14,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित है.

स्थानीय लोगों का मानना है कि कैलाश कुंड ही भगवान शिव का मूल निवास स्थान था, लेकिन उन्होंने इसे वासुकी नाग को दे दिया और खुद हिमाचल प्रदेश के मन्महेश में रहने चले गए.

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