कार्तिक मास का हिंदू धर्म और खासकर बिहार में इसकी धार्मिक मान्यता है. यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है.
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पटना: त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है और अब नवरात्र के बाद कार्तिक मास शुरू होगी. कार्तिक मास का हिंदू धर्म और खासकर बिहार में इसकी धार्मिक मान्यता है. यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है.
कहा जाता है कि इस महीने में दीप दान, झंडारोपण, पूजा-पाठ और स्नान करने से बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है. इस मास में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चर्तुदशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चर्तुदशी, कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.
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ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद उठते हैं. इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते है. इस दौरान देव उठानी या प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस महीने में दान करना भी लाभकारी होता है. दीपदान का भी खास महत्व होता है. यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है. यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है.
कार्तिक मास भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं. कहते है जैसे हर पत्नी पति के पहले उठती है ठीक वैसे ही मां लक्ष्मी दीपावली वाले दिन ठीक 14 दिन पहले भगवान विष्णु से पहले उठकर धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को अपार धन देती है. इस महीने विशेष पूजा और प्रयोग करके आप आने वाले समय के लिए अपार धन पा सकते हैं और कर्ज तथा घाटे से मुक्त हो सकते हैं.
Rinki Punj, News Desk
वैसे तो कार्तिक मास में माँ लक्ष्मी की कृपा के लिए दीपावली जैसा बड़ा पर्व मनाया जाता है. जिस घर में विष्णु जी की पूजा होती है, मां लक्ष्मी हमेशा उस घर पर अपना कृपा बनाई रखती है. इसलिए रोज़ मंदिर, तुलसी पर दीपदान करें. रविवार को तुलसी पर दीप प्रज्वलित करना वर्जित है इसका खास ध्यान रखें. तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती