Shashishekhar Tripathi: देव गुरु बृहस्पति की दोनों राशियां धनु और मीन राशि में जब ग्रहों के राजा सूर्य का प्रवेश होता है, तो खरमास का प्रारंभ होता है. खरमास यानी आमांगलिक महीना जो कि शुभ कार्यों के लिए हानिकारक होता है. इस मास में सूर्य के क्षीण हो जाने के कारण मांगलिक कार्य निषेध हो जाते है. हर साल दो खरमास लगते हैं, इस वर्ष  का अंतिम खरमास लगने जा रहा है जिस कारण मांगलिक कार्यक्रम सिर्फ 15 दिसंबर तक ही हो सकेंगे.


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वर्ष 2024 में खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर रात्रि में करीब 10 बजे से होगी और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही यानी कि 14 जनवरी 2025  के दिन इसका समापन होगा. गुरु के घर में सूर्य का प्रवेश होने के कारण इस दौरान भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना विशेष मानी जाती है. इस अवधि में पूरी श्रद्धा के साथ भगवान का स्मरण करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.


भगवान सूर्य की आराधना का है दिन


जिन लोगों का भी जन्म खरमास या पौष मास में हुआ है, उन्हें खरमास में सूर्य को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए. राज्यपद की लालसा रखने वाले, बेरोजगार नवयुवकों अथवा अधिकारियों से परेशान लोग इस दौरान लाल सूर्य की आराधना करें. जिन्हें बार-बार चोट लगती हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों या अकाल मृत्यु के भय से डरे हो यदि  वे दोपहर अभिजीत मुहूर्त में सूर्य की आराधना करे, तो उन्हें जीवन पर्यंत इसका भय नहीं रहेगा, न ही इस तरह की बीमारियों से उनकी मृत्यु होगी. 


इन मांगलिक कार्यों में लग जाती है रोक


सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही राशि स्वामी गुरु का तेज भी  प्रभावहीन रहता है तथा स्वभाव में उग्रता आ जाती है. देवगुरु के उग्र अस्थिर स्वभाव एवं सूर्य की धनु राशि की यात्रा के मध्य आदि मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. कुछ कार्यों के लिए खरमास को शुभ नहीं माना जाता है जिसमें वैवाहिक कर्म जैसे शुभ कार्य, नए कपड़े, संपत्ति और वाहन आदि खरीदने से इस मास में बचना चाहिए. मुंडन, गृह प्रवेश और सगाई भी नहीं की जाती है. खरमास के चलते बहू या बेटी को घर से विदा भी नहीं करना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)