इस दिन भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ था जो कि समुन्द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धनवन्तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है.
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नई दिल्ली: दिवाली (Diwali) के त्यौहार की शुरुआत धनतेरस (Dhanteras 2019) के साथ होती है. दिवाली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस पर नई वस्तु खरीदने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा करने से घर-परिवार की खुशियों में वृद्धि होती है और आर्थिक कष्ट भी दूर होते हैं.
धनतेरस का अर्थ है अपने धन को तेरह गुना बनाने और उसमें वृद्धि करने का दिन. इस दिन भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ था जो कि समुन्द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धनवन्तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है.
धनतेरस पर भगवान धनवंतरि, कुबेर व यमराज की पूजा होती है. इस दिन आटे का दीपक जलाकर देवताओं की आराधना करने से कृपा बरसती है. इसके बाद छोटी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजन और भाईदूज के साथ महापर्व का समापन होगा. इस दिन चांदी या किसी धातु के बर्तन को खरीदना शुभ रहता है. मिट्टी की बनी हुई मां-लक्ष्मी की दीपों की मूर्ति खरीदी जाती है. इस दिन झाड़ू की पूजा भी शुभ मानी गई है.
इस बार धनतेरस शुक्रवार को पड़ रहा है और इस दिन शुक्र प्रदोष भी रहेगा. इसके चलते शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है. इस दिन बने योगों की बात करें तो ब्रह्म और सिद्धि योग भी बन रहा है. इस मुहूर्त में जो भी खरीदी या काम किया जाएगा वह समृद्धिकारक होगा.
धनतेरस पूजन का शुभ मुहूर्त
दिन- 25 अक्टूबर 2019
उत्तम मुहूर्त वृष लग्न में शाम 6 बजकर 12 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट रहेगा.
मंदिरों में पूजा के लिए शाम 7:06 बजे से रात 08:16 बजे तक का समय शुभ रहेगा.
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धनतेरस पूजन विधि
प्रातः उठकर सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद खुद भी स्नान आदि कर पवित्र होकर पूजन का संकल्प लें. शाम के समय भगवान धनवंतरी की पूजा के लिए उनकी तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. फिर जल लेकर तीन बार आचमन करें और सभी प्रतिमाओं पर जल छिड़कें. भगवान का टीका करें और वस्त्र अर्पित करें. भगवान के मंत्रो का जाप करते हुए उन्हें प्रणाम करें और भगवान को पुष्प अर्पित करें. साथ ही घर के लिए जो चीजें खरीदी हैं उनकी भी पूजा करें. इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें और घर के बाहर, दुकान आदि में तेरह दीपक जलाएं.