Ganga Dussehra 2019 Celebration Timings: गंगा स्नान के लिए सुबह 4.15 से सुबह 5.25 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा. इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है जिसे ऋषि स्नान भी कहते हैं.
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नई दिल्ली: गंगा को मोक्षदायिनी माना गया है जो एक डुबकी में इंसान के सारे पाप और दोष हर लेती हैं. शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए इसे महापुण्यकारी पर्व के रूप में मनाया जाता है. आज गंगा दशहरा के मौके पर विशेष पूजा और अर्चना का महत्व रहा है. उत्तर भारत में इस दिन का काफी प्रचलन रहा है. देश भर में गंगा दशहरा पर लाखों भक्त प्रयागराज, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी और गंगा नदी के अन्य तीर्थ स्थानों पर डुबकी लगाते हैं.
स्नान का शुभ मुहूर्त
Ganga Dussehra पर सुबह 5.45 से शाम 6.27 तक दशमय तिथि होगी, इस दौरान पूजा और दान दोनों ही बेहद शुभ रहेगा. गंगा स्नान के लिए सुबह 4.15 से सुबह 5.25 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा. इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है जिसे ऋषि स्नान भी कहते हैं. वहीं सुबह से सूर्य अस्त तक भी श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ कमा सकते हैं.
गंगा दशहरा व्रत और पूजन विधि
Ganga Dussehra का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोग व्रत करके पानी भी (जल का त्याग करके) छोड़कर इस व्रत को करते हैं. ग्यारस (एकादशी) की कथा सुनते हैं और अगले दिन लोग दान-पुण्य करते हैं. इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं. इस दिन दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा आदि चीजें भक्त दान करते हैं.
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कैसे शुरू हुआ गंगा दशहरा का त्योहार
शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि महाराजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कठोर तप किया था और धरती के पाप कम करने के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे. मां के जन्म की कथा बहुत ही प्रसिद्ध और पावन है. इसे सुनने से भी मां का आशीर्वाद भक्तों पर बना रहता है.
गंगा दशहरा पर दान की परंपरा
गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है. गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है. इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है.