Magh Purnima आज, इस दिन नदियों में स्नान और दान का क्या है महत्व और व्रत के नियम भी जानें
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Magh Purnima आज, इस दिन नदियों में स्नान और दान का क्या है महत्व और व्रत के नियम भी जानें

माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और फिर दान का विशेष महत्व होता है. बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु संगम किनारे गंगा में डुबकी लगाने आते हैं. आखिर क्यों है इस दिन का इतना महत्व यहां जानें.

आज माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान

नई दिल्ली: माघ महीने की अंतिम तिथि यानी शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस बार माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) 27 फरवरी 2021 शनिवार को पड़ रही है. हिंदू धर्म में वैसे भी पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है और माघ की पूर्णिमा को तो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से और भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के साथ ही चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है. इस दिन नदियों में स्नान करने के बाद दान करने की परंपरा है. 

  1. माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान और फिर दान का विशेष महत्व
  2. इस दिन चंद्रदेव को अर्घ्य देकर पूरा होता है व्रत
  3. माघ पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते हैं

माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त  

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 26 फरवरी दोपहर 03:50 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 27 फरवरी दिन में 01.45 तक
चूंकि उदया तिथि से त्योहार को माना जाता है इसलिए माघ की पूर्णिमा आज 27 फरवरी शनिवार को है.

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माघ पूर्णिमा का महत्व

पुराणों में ऐसा कहा गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन स्वयं भगवान विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान (Ganga Snan) करने का विशेष महत्व है और ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है. यही कारण है माघ पूर्णिमा के अवसर पर देशभर के गंगा घाटों में बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने आते हैं. खासकर प्रयागराज में तो लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं. 

माघी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान देने की (Donate) भी परंपरा है. कहा जाता है कि इस दिन किये गये दान-पुण्य का बत्तीस गुना फल मिलता है और इसलिए माघी पूर्णिमा को 'बत्तीसी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जरूरतमंदों को तिल, कंबल, गुड़, घी, मोदक, जूते, कपड़े, अनाज आदि का दान किया जाता है. इसके अलावा आज के दिन पितरों का तर्पण करने से धन-संपदा और बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होती है.

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कल्पवास का होता है समापन

माघ के महीने में लोग संगम किनारे 1 महीने तक रहकर व्रत और संयम के साथ कल्पवास करते हैं और माघ पूर्णिमा के दिन ही ये कल्पवास पूरा होता है इसलिए भी माघ पूर्णिमा को खास माना जाता है. ज्योतिषीय गणना की मानें तो इस दिन चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है इसलिए भी इस दिन को माघ पूर्णिमा कहा जाता है. 

चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व

माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. सत्यनारायण की कथा सुनना भी फलदायी माना जाता है. इसके बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं.

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