कालाष्टमी व्रत: भगवान शिव ने लिया भैरव बाबा का अवतार, जानें कथा और पूजा की विधि
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कालाष्टमी व्रत: भगवान शिव ने लिया भैरव बाबा का अवतार, जानें कथा और पूजा की विधि

पापियों के विनाश के लिए इस दिन भगवान भोलेनाथ ने रौद्र रूप धारण कर लिया था.

भैरव बाबा

नई दिल्ली: कालाष्टमी का दूसरा नाम काला अष्टमी है. यह हर मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. आज 13 जून 2020 को कालाष्टमी है. बता दें कि साल की सभी कालाष्टमी को भगवान कालभैरव के भक्त उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. इनमें से सबसे प्रमुख कालाष्टमी कालभैरव जयंती के दिन होती है. ये उत्तर भारत के पञ्चाङ्ग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह में होती है और दक्षिण भारत के पञ्चाङ्ग के मुताबिक कार्तिक माह में पड़ती है. मान्यता है कि कालभैरव जयंती के दिन भगवान महादेव भैरव बाबा के रूप में अवतरित हुए थे.

  1. कालाष्टमी की पौराणिक कथा
  2. कालाष्टमी की पूजा की विधि
  3. कालाष्टमी का समय

कालभैरव जयंती के दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते हैं और कालभैरव की कथा पढ़कर भजन-कीर्तन करते हैं. आज के दिन भक्तों को भैरव बाबा की कथा जरूर सुननी चाहिए. इससे आपके आस-पास की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाएंगी और आर्थिक तंगी से भी राहत मिलेगी.

पौराणिक कथा
पापियों के विनाश के लिए इस दिन भगवान भोलेनाथ ने रौद्र रूप धारण कर लिया था. शिव के दो रूप हैं, काल भैरव और बटुक ​भैरव. जहां काल भैरव रौद्र रूप है तो वहीं बटुक भैरव सौम्य रूप है.

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पूजा की विधि
कालाष्टमी के दिन भैरव चालीसा का पाठ करें. कुत्ते को भोजन खिलाएं तो भगवान प्रसन्न हो जाएंगे. बता दें कि कुत्ता भैरव बाबा का वाहन है. कालाष्टमी को पूजा रात को होती है, इस दिन काल भैरव भगवान की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. रात को चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है तब ही यह व्रत पूर्ण होता है.

कालाष्टमी का समय
कालाष्टमी 12 जून को रात 10 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो गई और 13-14 जून की मध्यरात्रि में 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगी.

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