इस मंदिर में चढ़ाया गया दूध हो जाता है 'नीला', जानिए आखिर क्यों होता ऐसा
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इस मंदिर में चढ़ाया गया दूध हो जाता है 'नीला', जानिए आखिर क्यों होता ऐसा

पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए केतु ने इसी मंदिर में शिव को प्रसन्न करने के लिए आराधना शुरू की. कहते हैं कि शिवरात्रि के दिन केतु को भगवान शिव ने दर्शन दिए.

केतु मंदिर

नई दिल्ली: भारत में मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है. कई ऐसे मंदिर हैं जहां की कुछ रहस्यमयी घटना लोगों को हैरत में डाल देती है. बैद्यनाथ शिव मंदिर जो कि झारखण्ड राज्य में है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे खुद विश्वकर्मा ने बनाया था. इसी प्रकार की रहस्यमयी घटना दक्षिण भारत के एक मंदिर की है. यह मंदिर केतु देव को समर्पित है. दरअसल इस मंदिर में दूध चढ़ाने से उसका रंग बदल जाता है. आगे इस बारे में विस्तार से जानते हैं. 

  1. केतु को मिली थी शाप से मुक्ति
  2. केति मंदिर के मुख्य देव हैं भगवान शिव
  3. राहु देव को चढ़ाया दूध हो जाता है नीला

केरल का केतु मंदिर (Kerala Ketu Temple)

यह मंदिर केरल में कावेरी नदी के किनारे है. कीजापेरुमपल्लम गांव में स्थित इस मंदिर को नागनाथस्वामी या केति स्थल के नाम से जानते हैं. इस मंदिर के मुख्य देव भगवान शिव हैं. हालांकि इसके अलावा राहु और केतु की भी प्रतिमा स्थपित है. इस मंदिर में राहु देव को दूध चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि केतु दोष से पीड़ित लोग जब राहु देव को दूध चढ़ाते हैं तो वह नीला हो जाता है. 

पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए केतु ने इसी मंदिर में शिव को प्रसन्न करने के लिए आराधना शुरू की. कहते हैं कि शिवरात्रि के दिन केतु को भगवान शिव ने दर्शन दिए. साथ ही केतु को श्राप से मुक्त भी किया. केतु को सांपों का देवता भी कहते हैं क्योंकि उसकी सिर इंसान का और धड़ सांप का होता है. 

ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह बताया गया है. नौ ग्रहों में राहु और केतु को भी रखा गया है. इसके अलावा नौ ग्रहों में बृहस्पति, शनि, शुक्र, चंद्रमा, बुध, मंगल और सूर्य शामिल हैं. इस ग्रहों का अपना अलग-अलग स्वभाव है. जिसके आधार पर ये जातक पर प्रभाव छोड़ते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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