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हनुमान जी के 5 चमत्कारी रहस्य, ब्रह्मचारी होने के बाद भी कैसे हुआ पुत्र; जानें

हनुमान जी को कई देवी-देवताओं का वरदान प्राप्त है. कहते हैं कि अकेले सीता जी ने उन्हें आठ प्रकार की सिद्धियों का वरदान दिया था. इसके अलावा सूर्य और इंद्र देव ने भी हनुमान जी से खुश होकर कई शक्तियों का वरदान दिया था. साथ ही ब्रह्मा ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे. इनमें से एक वरदान का असर ऐसा था कि जिसके प्रभाव से उन पर ब्रह्मास्त्र का भी असर नहीं होता था. हनुमान जी से जुड़े 5 रहस्य ऐसे हैं जिसे आज भी चमत्कारी माना जाता है. आगे इस बारे में जानते हैं. 

गंधमादन पर्वत पर है हनुमान जी का निवास

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गंधमादन पर्वत पर है हनुमान जी का निवास

कहते हैं कि हनुमान जी को इंद्रदेव ने इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था. इसके अलावा श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत तक रहने का वरदान दिया था. साथ ही सीता जी के वरदान के अनुसार वे चिरजीवी भी रहेंगे. रघुवीर श्रीमद्भागवत के मुताबिक कलियुग में हनुमान जी निवास स्थान गंधमादन पर्वत पर है. 

पसीने से हुआ था हनुमान जी को पुत्र

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पसीने से हुआ था हनुमान जी को पुत्र

एक रहस्य हनुमान जी के पसीने से जुड़ा है. कहते हैं कि उनके पसीने से उनका एक पुत्र हुआ था. जब हनुमान जी लंका को जलाकर समुद्र में अपने शरीर का ताप कम करने के लिए विश्राम कर रहे थे. तब उनके शरीर से टपका पसीना एक मादा मगरमच्छ ने निगल लिया. जिसके बाद उनके पसीने के प्रभाव से उनका एक पुत्र हुआ. जिसका नाम मकरध्वज था. 

श्रीराम से पहले हुआ था हनुमान जी का जन्म

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श्रीराम से पहले हुआ था हनुमान जी का जन्म

कहते हैं कि हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले के हम्पी के पास हुआ था. वहीं पास के मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ. मान्यता है कि श्रीराम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म लिए. हनुमान जी चैत मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था. 

मां जगदम्बा के भी सेवक हैं हनुमान जी

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मां जगदम्बा के भी सेवक हैं हनुमान जी

मान्यता है कि हनुमान जी श्रीराम के साथ-साथ मां जगदम्बा के भी सेवक हैं. कहते हैं कि जब माता चलती हैं तो आगे-आगे हनुमान जी चलते हैं. साथ ही उनके पीछे बाबा भैरव भी रहते हैं. इसी वजह से देवी मंदिर के प्रांगण में हनुमानजी और भैरव जी के मंदिर जरूर होते हैं.

तुलसीदास से पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण

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तुलसीदास से पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण

कहते हैं कि हनुमान जी ने नाखूनों से हिमालय रामायण लिखी थी. लेकिन जब तुलसीदास अपनी रामायण हनुमान जी को दिखाने पहुंचे तब उनकी रामायण देख वह दुखी हो गए. दरअसल वह रामायण बहुत सुंदर लिखी गई थी. साथ ही उनकी रामायण उसके आगे फीकी लगी. हनुमान जी ने जब तुलसीदास जी के मन की बात जानी. तब वे अपनी लिखी रामायण को तुरंत मिटा दिए. 

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