नई दिल्ली: जिस तरह हमारी किस्मत पर ग्रहों का बड़ा प्रभाव होता है ठीक उसी तरह हमारी सेहत पर भी ग्रहों का काभी प्रभाव होता है. ग्रहों के कमजोर होने से व्यक्ति की सेहत ठीक नहीं रहती, उसे कोई न कोई रोग हो जाता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप योग के माध्यम से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को रोक सकते हैं और निरोगी काया पा सकते हैं. योग करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है.
कुंडली में अगर सूर्य कमजोर है तो इसका सबसे अधिक प्रभाव व्यक्ति के आत्मविश्वास पर पड़ता है. इसके साथ ही व्यक्ति को दृष्टि की समस्या या फिर ह्रदय रोग से जूझना पड़ता है. इसे दूर करने के लिए अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका प्राणायाम के साथ-साथ रोजाना सूर्य नमस्कार भी करना चाहिए.
कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर व्यक्ति अत्यधिक भावुक होता है. साथ ही कमजोर चंद्रमा के कारण आप हमेशा तनाव और बेचैनी महसूस कर सकते हैं. ऐसे व्यक्तियों को हमेशा सर्दी-जुकाम की समस्या रहती है. चंद्रमा को मजबूत करने के लिए रोज सुबह अनुलोम-विलोम प्राणायाम के साथ ॐ का उच्चारण करें.
कुंडली में मंगल के नकारात्मक होने से व्यक्ति का स्वभाव नकारात्मक हो जाता है. ये आपको या तो अधिक क्रियाशील बना देता है या फिर हद से ज्यादा आलसी और ये दोनों ही स्थितियां किसी के लिए ठीक नहीं हैं. मंगल को शुभ करने के लिए रोजाना पद्मासन, तितली आसन, मयूर आसन और शीतलीकरण प्राणायाम करें.
कुंडली में बुध का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति की निर्णय शक्ति को कमजोर कर देता है. इसके अलावा व्यक्ति चर्म रोग का भी शिकार हो जाता है. बुध को शुभ करने के लिए रोजाना भस्त्रिका, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें.
कुंडली में गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति को लीवर की समस्या हो सकती है. कमजोर गुरु मोटापे और डायबिटीज का कारक भी हो सकता है. गुरु को नियंत्रित करने के लिए रोजाना कपालभाति, सर्वांगासन के साथ-साथ सूर्य नमस्कार करें. इससे काफी फायदा मिलेगा.
शुक्र के कमजोर होने से व्यक्ति को जननांगों की समस्या हो सकती है. इसके कारण गर्भधारण में भी समस्या आती है. शुक्र को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से धनुरासन, हलासन, मूलबंध और जानुसिरासन क्रिया करें.
कमजोर शनि वाले लोग गैस्ट्रिक, एसिडिटी, आर्थराइटिस, उच्च रक्त चाप और ह्रदय संबंधी रोगों से पीड़ित रहते हैं. शनि को मजबूत करने के लिए कपालभाति, अनुलोम-विलोम, अग्निसार, पवनमुक्तासन और भ्रामरी प्राणायाम करें.
बुध की ही तरह कमजोर राहू का सबसे अधिक प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क और सोचने-समझने की शक्ति पर पड़ता है. इससे व्यक्ति के निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित हो जाती है. राहू के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, भस्त्रिका प्राणायाम करें.
कमजोर केतु खून की कमी, बवासीर, अपच और चर्म रोग को न्योता देता है. दूषित केतु को मजबूत करने के लिए अग्निसार, अनुलोम-विलोम, कपालभाति प्राणायाम करें. शीर्षासन करने की भी सलाह दी जाती है.
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