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Kanya Pujan 2021: अष्टमी और नवमी दोनों दिन होता है कन्या पूजन, जानें इसका महत्व और कैसे करें कन्या रूपी माता की पूजा

Kanya Pujan Navratri 2021: नवरात्रि के दौरान हर साल अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. क्यों करते हैं कन्याओं की पूजा और कितने साल की कन्या की पूजा करनी चाहिए, इस बारे में यहां जानें.

क्यों करते हैं कन्या पूजन?

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क्यों करते हैं कन्या पूजन?

कन्या पूजन को कई लोग कंजक पूजन भी कहते हैं और इस दौरान नौ कन्याओं के साथ ही एक बालक की भी पूजा की जाती है. इसका कारण ये है कि नवरात्रि में नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है तो वहीं बालक को बटुक भैरव या हनुमान जी के रूप में पूजा जाता है. यही कारण है कन्या पूजन के दौरान कंजकों के साथ बिठाए जाने वाले बालक को लांगुर कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा और सेवा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-शांति और धन का आशीर्वाद देती हैं.

कितने उम्र की कन्या की होती है पूजा

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कितने उम्र की कन्या की होती है पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान 2 साल से 9 साल के बीच की कन्याओं की ही पूजा की जानी चाहिए. वैसे आप चाहें तो 9 साल से अधिक उम्र की कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं लेकिन पूजा सिर्फ 9 साल तक की ही कन्या की होती है. 

किस उम्र की कन्या के पूजन से क्या लाभ

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किस उम्र की कन्या के पूजन से क्या लाभ

ऐसी मान्यता है कि 2 साल की कन्या के पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है, 3 साल की कन्या के पूजन से संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है, 4 साल की कन्या के पूजन से सुख-समृद्धि मिलती है, 5 साल की कन्या के पूजन से व्यक्ति रोग मुक्त होता है, 6 साल की कन्या के पूजन से ज्ञान, बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है, 7 साल की कन्या के पूजन से सुख और ऐश्वर्य मिलता है, 8 साल की कन्या के पूजन से यश, विजय और लोकप्रियता प्राप्त होती है और 9 साल की कन्या के पूजन से समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं और शत्रुओं का नाश होता है. 

कन्या पूजन की विधि

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 कन्या पूजन की विधि

- नौ कन्याओं और एक बालक के पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं.

- सभी कन्याओं को रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें.

- कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन पूजा स्थान पर अर्पित करें.

- अब सभी कन्याओं और बालक के लिए भोजन परोसें.

- उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा या उनके उपयोग की वस्तुएं दें.

- सभी कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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