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नई दिल्ली: अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के साथ ही 10 दिन का गणेश महोत्सव खत्म हो जाएगा और इसके अगले दिन से पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) शुरु होता है. भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर पितृमोक्षम अमावस्या तक 15 दिन का पितृ पक्ष होता है. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष बहुत अहम है. इन 15 दिनों में लोग अपने पूर्वजों (Ancestors) को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध (Shradh) करते हैं. देश की प्रमुख जगहों जैसे हरिद्वार, गया आदि जाकर पिंडदान करते हैं. इस साल 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है, जो कि 6 अक्टूबर को खत्म होगा.
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में कोई भी शुभ काम (Auspicious Work) जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी नहीं की जाती है. यहां तक कि लोग नए कपड़े भी इस दौरान नहीं खरीदते हैं और ना ही कोई नया काम शुरू करते हैं. साथ ही इस दौरान बेहद सादा जीवन जीने और सात्विक भोजन करने के लिए भी कहा गया है. इसके पीछे धर्म और ज्योतिष में कुछ कारण बताए गए हैं.
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धर्म और ज्योतिष के मुताबिक पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को सम्मान (Respect) देते हुए उनके लिए पूजा-पाठ किए जाते हैं. ऐसे में इस दौरान सादा जीवन जीना और कोई शुभ काम न करना उनके प्रति हमारे सम्मान और समर्पण को दर्शाता है. पूर्वजों को सम्मान देने से वे प्रसन्न होते हैं और पूरे परिवार पर कृपा करते हैं. जिंदगी में सफलता के लिए मेहनत, किस्मत, भगवान की कृपा के साथ-साथ पूर्वजों का आशीर्वाद बेहद जरूरी होता है.
यदि पितृ नाराज हो जाएं तो जिंदगी मुसीबतों से भर जाती है. लिहाजा इस दौरान अपनी बुरी आदतों से भी बचें. कहते हैं कि इन 15 दिनों में पूर्वज पृथ्वी पर वापस आते हैं और अपनों के बीच ही रहते हैं. ऐसे में उनके लिए तर्पण करने से उनके प्रति सम्मान दर्शाने से वे प्रसन्न होते हैं.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)