Pradosh Vrat: शुक्र प्रदोष व्रत आज, सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए आज ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
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Pradosh Vrat: शुक्र प्रदोष व्रत आज, सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए आज ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

अप्रैल महीने का पहला प्रदोष व्रत 9 अप्रैल शुक्रवार को रखा जाएगा. यह चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित है और ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी संकट दूर हो जाते हैं.

शुक्र प्रदोष व्रत

नई दिल्ली: जिस तरह हर महीने में 2 बार भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत (Ekadashi vrat) रखा जाता है. ठीक उसी तरह हर महीने में दो बार कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh vrat) रखा जाता है जो भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. हिंदू पंचांग के पहले महीने चैत्र मास के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत आज 9 अप्रैल को रखा जा रहा है. सप्ताह के सातों दिन में जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है. चूंकि अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh vrat) कहा जाएगा. इस व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में यहां पढ़ते हैं.

  1. अप्रैल महीने का पहला प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष है
  2. इस दिन प्रदोष काल में की जाती है भगवान शिव की पूजा
  3. इस व्रत के प्रभाव से शादी विवाह की बाधा हो सकती है दूर 

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

प्रदोष का व्रत- 9 अप्रैल 2021 दिन शुक्रवार
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 9 अप्रैल को सुबह 03.15 बजे 
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 10 अप्रैल को सुबह 04.27 बजे तक
प्रदोष काल में पूजा का समय- 9 अप्रैल को शाम में 05.55 बजे से लेकर 08.12 बजे तक

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प्रदोष व्रत का महत्व

ऐसी मान्यता है कि पूरे विधि-विधान के साथ प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. अलग-अलग कामना के साथ लोग प्रदोष का व्रत रखते हैं:
सुख-सौभाग्य के लिए: जीवन में सुख-सौभाग्य और संपत्ति (Financial gain) की कामना रखने वालों के लिए शुक्र प्रदोष का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. 
संतान सुख के लिए: संतान प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र या संतान से जुड़ी कोई भी समस्या (Problems related with children) दूर करने के लिए भी प्रदोष का व्रत रखा जाता है.
विवाह में आ रही बाधा दूर करने के लिए: जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या विवाह न हो पा रहा हो (Problems in marraige) उनके लिए भी भगवान शिव की पूजा और प्रदोष का व्रत रखना फलदायी माना जाता है.-
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए: कई बार तमाम प्रयासों के बाद भी सिर से कर्ज का बोझ नहीं हटता (Debt related problem). ऐसे में प्रदोष का व्रत शुरू करें. भगवान शिव की कृपा से यह समस्या भी जरूर दूर हो जाएगी.

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दौरान सुबह और शाम में दो बार पूजा की जाती है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके भगवान शिव का ध्यान करें. शिवलिंग का जलाभिषेक करें और पूजा के बाद दिनभर उपवास रखें. इसके बाद शाम में सूर्यास्त से 1 घंटे पहले फिर से स्नान करके प्रदोष काल में शिव जी की पूजा आरंभ करें. शिव जी के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करें. सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से लेकर 45 मिनट बाद तक प्रदोष काल में पूजा करने का महत्व माना जाता है. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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