Remedies for Jupiter: सोया भाग्य जगाने के लिए करें देवगुरु बृहस्पति का महाउपाय
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Remedies for Jupiter: सोया भाग्य जगाने के लिए करें देवगुरु बृहस्पति का महाउपाय

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का प्रमुख स्थान है. बृहस्पति देवताओं के गुरु माने जाते हैं.

देवगुरु बृहस्पति

नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का प्रमुख स्थान है. बृहस्पति देवताओं के गुरु माने जाते हैं, इसी कारण इन्हें गुरु कहा जाता है. ज्योतिष में बृहस्पति को धनु और मीन राशियों का स्वामी भी माना जाता है. बृहस्पति ज्ञान और बुद्धि के दाता माने गए हैं. साथ ही साथ ये संतान, धार्मिक कार्य, सौभाग्य और पुण्य के भी कारक हैं. जिस जातक पर बृहस्पति की कृपा होती है, उसका कारोबार खूब फलता-फूलता है. उसे अपने उच्च अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलता है. बृहस्पति देव हमेशा शुभ फल देते हैं. ये किसी भी जातक के जीवन में आ रही नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल देते हैं. जैसे उसे यदि जीवन में सफलता न मिल रही हो, कारोबार में घाटा या वृद्धि न हो रही हो, विवाह में अड़चनें आ रही हो आदि तो गुरु की दिव्य दृष्टि पड़ते ही जातक का सौभाग्य जाग जाता है. उसके सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं.

गुरु कृपा दिलाने वाला प्रार्थना मंत्र —

देवमंत्री विशालाक्षः सदा लोकहितेरतः।
अनेकशिष्यैः संपूर्णः पीडां दहतु में गुरुः।।

देवगुरु बृहस्पति की प्रसन्नता के लिए पीपल की समिधा से हवन तथा गुरु तंत्रोक्त मंत्र का जाप करना चाहिए.
तंत्रोक्त मंत्र - ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
जप संख्या - 19,000 (उन्नीस हजार)

बृहस्पति के दिन करें ये शुभ कार्य — 
गुरुवार के दिन धार्मिक कार्य जैसे यज्ञ, कथा, प्रवचन, धर्मशाला आदि का निर्माण, मठ-मंदिर से संबंधित कार्य, यश वाले कार्य, यज्ञ, विद्यारंभ, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, तीर्थ यात्रा शुभ माने गए हैं.

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हस्पतिवार व्रत की विधि — 
गुरु की कृपा पाने के लिए गुरुवार के दिन किया जाने वाला व्रत एक महाउपाय है. गुरुवार का व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से प्रारंभ करना चाहिए. तीन वर्ष या कम से कम 16 गुरुवार व्रत करना चाहिए. व्रती को व्रत वाले दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए. अंतिम गुरुवार को किसी विद्वान ब्राह्मण से यज्ञ करवाना चाहिए और गाय को गुड़ एवं चने की दाल खिलानी चाहिए. यदि गाय न मिले तो आप इसे किसी केले के पेड़ के नीचे या किसी ब्राह्मण को दान में दे सकते हैं.

गुरु के दान से होगा कल्याण —
गुरु ग्रह से प्रभावित जातक को प्रत्येक बृहस्पतिवार के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार चने की दाल, खांड, घी, पीला वस्त्र, पीला फूल, पीला फल, हल्दी, धार्मिक पुस्तक आदि का दान करना चाहिए. बृहस्पति का यह दान शाम के समय शुभ माना गया है. 

बृहस्पति का शुभ रत्न —
पुखराज गुरु (बृहस्पति) का प्रमुख रत्न है. इसका उपरत्न सुनहला है. बृहस्पति की शुभता प्रदान करने वाले पुखराज को धारण करने से बल, बुद्धि, स्वास्थ्य, व्यापार में वृद्धि, आयु और पुत्र की प्राप्ति होती है. हालांकि यदि आप महंगा पुखराज न खरीद पाएं तो आप उसकी जगह हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में बांध कर अपनी बांह में धारण कर सकते हैं.

किस दिन करें धारण पुखराज — 
गुरु की कृपा दिलाने वाले पुखराज को धारण करने के लिए स्नान-ध्यान आदि करके पीले पुष्प से पूजन करना चाहिए. इसे शुक्ल पक्ष के गुरुवार को गुरु की होरा में अथवा गुरु पुष्य योग में पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में धारण करना चाहिए.

किसी जातक की कुंडली में यदि गुरु ग्रह शुभ फल न दे रहे हों तो उसे इन उपायों को करना चाहिए — 
- केसर का तिलक लगाएं.
- केसर की पुड़िया या पीला कपड़ा अपने पास रखें.
- बादाम और नारियल पीले कपड़े में बांध कर चलते पानी में डालें.
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें.
- वृद्ध ब्राह्मण को पीला वस्त्र दें.

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