इस मंदिर में दर्शन के नियम जान छूट जाते हैं अच्छे अच्छों के पसीने, फॉलो करना पड़ता है खास ड्रेस कोड
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इस मंदिर में दर्शन के नियम जान छूट जाते हैं अच्छे अच्छों के पसीने, फॉलो करना पड़ता है खास ड्रेस कोड

भारत का यह प्रसिद्ध मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच बसा है. यहां दर्शन से पहले भक्तों को ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है. इसके अलावा श्रद्धालुओं को 14 दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है.

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. रोजाना इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है, जिनका जिक्र रामायण में है. सबरीमाला मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच अवस्थित है. इस मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है. भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र कहा जाता है. मान्यता है कि ये भगवान विष्णु और शिव के मानस पुत्र हैं. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को खास नियम का पालन करना होता है. आइए जानते हैं सबरीमाला मंदिर के जुड़ी अनोखी बातें. 

  1. दर्शन के लिए है अनोखा नियम
  2. ड्रेस कोड का करना पड़ता है पालन
  3. विराजमान हैं भगवान अयप्पा

मंदिर में दर्शन के लिए है अनोखा नियम

सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए जनवरी से नवंबर तक खुला रहता है. बाकी समय में इस मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. दर्शन के लिए श्रद्धालु सबसे पहले पंपा त्रिवेणी में स्नान करते हैं. इसके बाद मंदिर में प्रवेश करते हैं. पंपा त्रिवेणी पर गणेशजी की पूजा के बाद ही भक्त उपर की चढ़ाई शुरू करते हैं. इस क्रम में पहला पड़ाव शबरी पीठम् आता है. माना जाता है कि इस स्थान पर शबरी ने तपस्या की थी. इसके आगे शरणमकुट्टी नामक पड़ाव आता है. पहली बार आने वाले भक्त यहां बाण गाड़ते हैं. इसके बाद मंदिर में प्रवेश करने के लिए दो रास्ते मिलते हैं. एक सामान्य और दूसरा 18 सीढ़ियों का रास्ता. वैसे श्रद्धालु जो यहां आने से पहले 14 दिनों का व्रत करते हैं, उन्हें ही इन पवित्र सीढ़ियों से जाने दिया जाता है. 18 सीढ़ियों के पास भक्त घी से भरा नारियल फोड़ते हैं. इसके बाद वहां मौजूद हवन कुंड में घी से भरा नारियल हवन कुंड में डाला जाता है. इसका एक अंश लोग प्रसाद के रूप में घर ले आते हैं. 

दर्शन के क्या हैं नियम?

श्रद्धालुओं को यहां आने से पहले 14 दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है. इस दौरान उन्हें नीले या काले वस्त्र पहनने पड़ते हैं. गले में तुलसी की माला पहनना आनिवार्य होता है. साथ ही 24 घंटे में एक बार ही भोजन करना होता है. इसके अलावा शाम की पूजा के बाद जमीन पर ही सोना पड़ता है. इस व्रत को पूरा करने के बाद किसी गुरु के निर्देशन में पूजी करनी होती है. मंदिर में पूजा करते वक्त सिर पर इरुमुखी रखनी होती है. इसके अलावा दो झोला रखना भी आवश्यक होता है. एक झोला में घी से भरा हुआ नारियल और दूसरे में भोजन की सामग्री रहनी होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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