Sankashti Chaturthi 2021: आज है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें महत्व और पूजा विधि
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Sankashti Chaturthi 2021: आज है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें महत्व और पूजा विधि

Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2021: हर महीने की चतुर्थी तिथि प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश जी को समर्पित होती है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने के साथ ही व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विघ्नहर्ता हर तरह के कष्ट और दुख को दूर कर देते हैं.

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) के मुताबिक हर महीने में दो बार चतुर्थी तिथि आती है- एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में. चतुर्थी तिथि के देवता प्रथम पूज्य भगवान गणेश (Lord Ganesha) माने गए हैं. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. चैत्र का महीना शुरू हो गया है और इस महीने के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi Vrat) का व्रत आज 31 मार्च बुधवार को है. इसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.

  1. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को है समर्पित
  2. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ करें गणेश जी की पूजा
  3. संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है 

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

ऐसी मान्यता है कि भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi) के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विघ्नहर्ता गणेश व्यक्ति के जीवन के सभी दुख और संकटों को दूर कर देते हैं. इस दौरान गणेश जी की आरती, उनके मंत्र और चालीसा का पाठ भी पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए. चूंकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत बुधवार को पड़ रहा है और बुधवार का दिन गणेश जी का ही दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन गणेश की पूजा करने से दोहरा फल और आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से जातक के सभी दुख दूर हो जाते हैं.

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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत- बुधवार 31 मार्च 2021 को
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय- 31 मार्च को रात में 09:39 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 31 मार्च 2021 को दोपहर में 02:06 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 अप्रैल 2021 को सुबह 11 बजे
वैसे तो किसी भी व्रत का मान सूर्योदय की तिथि से होता है लेकिन चूंकि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है और चतुर्थी तिथि में चंद्रमा बुधवार 31 मार्च को ही दिखेगा, लिहाजा 31 मार्च को ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा.

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संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. गणेश जी को तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन आदि चढ़ाएं. गणेश जी की आरती करें, मंत्रों का जाप करें. पूरे दिन व्रत रखें और शाम के समय चांद निकलने से पहले दोबारा गणेश जी की पूजा करें, व्रत कथा का पाठ करें और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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