Shivling Parikrama: शिवलिंग परिक्रमा के दौरान जरूर करते होंगे ये बड़ी भूल, आइंदा बचें वरना हो सकता है अनिष्ट!
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Shivling Parikrama: शिवलिंग परिक्रमा के दौरान जरूर करते होंगे ये बड़ी भूल, आइंदा बचें वरना हो सकता है अनिष्ट!

आप मंदिर में शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाने के बाद अक्सर उसकी परिक्रमा करते होंगे. धर्म शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग की पूरी परिक्रमा कभी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से अनिष्ट हो सकता है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में भोले शंकर (Lord Shiva) को देवों का देव कहा जाता है. माना जाता है कि जिन्होंने भोले को प्रसन्न कर लिया, उन्होंने जन्म-जन्मांतर के इस बंधन को हमेशा के लिए पार कर लिया.

  1. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखें व्रत
  2. शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा न करें
  3. जलधारी को लांघने की कभी न करें भूल

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखें व्रत

श्रद्धालु भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत रखते हैं. साथ ही मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. बहुत सारे श्रद्धालु जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग की परिक्रमा भी करते हैं. धर्म शास्त्रों में शिवलिंग की परिक्रमा के लिए स्पष्ट नियम (Shivling Parikrama Ke Niyam) बताए गए हैं. अगर आप उन नियमों का पालन किए बिना परिक्रमा करते हैं तो आपका शिव आराधना का फल नहीं मिलता है. 

शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा न करें

धर्म ग्रंथों में शिवलिंग (Shivling) की चंद्राकार परिक्रमा यानी आधी परिक्रमा करने के लिए कहा गया है. शिवलिंग की पूरी परिक्रमा (Shivling Parikrama) करना वर्जित माना गया है. मान्यता है कि शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए. इसके बाद आधी परिक्रमा करके फिर लौटकर उसी स्थान पर आ जाना चाहिए, जहां से परिक्रमा शुरू की थी. 

जलधारी को लांघने की कभी न करें भूल

शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाने के बाद जिस स्थान से जल प्रवाहित होता है, उसे जलधारी, निर्मली या सोमसूत्र कहा जाता है. शिवलिंग की परिक्रमा करते समय जलस्थान को भूलकर भी लांघना नहीं चाहिए. यदि आप ऐसी गलती करते हैं तो जलधारी की ऊर्जा मनुष्य के पैरों के बीच से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसके चलते व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह का कष्ट उत्पन्न होता है.

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शिवलिंग के जल का घर में करें छिड़काव

धर्म शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग (Shivling) का ऊपरी हिस्सा पुरूष और निचला हिस्सा स्त्री का प्रतिनिधित्व करता है. इसके चलते शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. यह ऊर्जा बहुत गर्म और शक्तिशाली होती है. शिवलिंग पर जलाभिषेक करके उस ऊर्जा को शांत करने की कोशिश की जाती है. ऐसा करते समय उस जल में शिव (Lord Shiva) और शक्ति की ऊर्जा के कुछ अंश समाहित हो जाते हैं. घर में उस जल का छिड़काव करने से नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती हैं. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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