Devshayani Ekadashi: इस साल 5 महीने योगनिद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु, जानें देवशयनी एकादशी का महत्व
Devshayani Ekadashi kab hai: इस साल 29 जुलाई को देवशयनी एकादशी होगी. इसके साथ ही श्री हरि पांच माह के शयन को चले जाएंगे. इस अवधि में मांगलिक कार्य स्थगित रहेंगे.
Devshayani Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में एकादशी के दिन का बहुत ही अधिक महत्व है. यह तिथि हर महीने में दो बार आती है, किंतु निर्जला, देवशयनी और देवोत्थान एकादशी का बहुत ही अधिक महत्व माना गया है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 29 जुलाई 2023 दिन गुरुवार को पड़ रही है. इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. माना जाता है कि श्री हरि भगवान इस दिन से चार मास की निद्रा में चले जाते हैं, किंतु इस वर्ष अधिकमास होने के कारण दो श्रावण मास पड़ रहे हैं. ऐसे में भगवान पांच मास तक शयन करने के बाद 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी अर्थात 23 नवंबर 2023 को नींद से जाग जाएंगे.
मान्यता है कि भगवान जितने दिन सोते हैं. उस अवधि में सामान्य पूजा पाठ के अतिरिक्त तिलक, विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश आदि सभी तरह के मांगलिक कार्य स्थगित रहते हैं. देवोत्थान एकादशी से फिर से शुरू होते हैं. श्रावण मास में हरी पत्तेदार सब्जियां, जिन्हें शाक भाजी भी कहा जाता है, उनके सेवन से बचना चाहिए.
महत्व
इसे आषाढ़ एकादशी भी कहा जाता है. भारतवर्ष में गृहस्थों से लेकर संत, महात्माओं व साधकों तक के लिए इस आषाढ़ी एकादशी से प्रारम्भ होने वाले चातुर्मास का प्राचीन काल से ही विशेष महत्व रहा है. जीवन में योग, ध्यान व धारणा का बहुत स्थान है, क्योंकि इससे सुप्त शक्तियों का नवजागरण एवं अक्षय ऊर्जा का संचय होता है. इसका प्रतिपादन हरिशयनी एकादशी से भली-भांति होता है. जब भगवान विष्णु स्वयं चार महीने के लिए योगनिद्रा का आश्रय लेकर ध्यान धारण करते हैं. आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के अलावा हरिशयनी या शेषशयनी, पद्मनाभा या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि श्री हरि को इन नामों से भी पुकारा जाता है.
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