भाई दूज के दिन मनाई जाती है यमद्वितिया, जाने क्यों होती भगवान चित्रगुप्त की पूजा
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भाई दूज के दिन मनाई जाती है यमद्वितिया, जाने क्यों होती भगवान चित्रगुप्त की पूजा

चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था. इनका कार्य प्राणियों के कर्मों के हिसाब किताब रखना है. मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है. 

भाई दूज के दिन मनाई जाती है यमद्वितिया, जाने क्यों होती भगवान चित्रगुप्त की पूजा

नई दिल्ली: दिवाली पांच दिन का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज के दिन खत्म होता है. पांच दिन के त्योहार पर भाईदूज आखिरी दिन मनाया जाता है. आज (09 नवम्बर) देशभर में ये त्योहार मनाया जा रहा है. इस तिथि से यमराज और द्वितीया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है. 

कैसे मनाते हैं त्योहार

इस दिन भाई अपनी बहनों के घर में जाते है. बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. भाई दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त की भी पूजा होती है.

क्यों होती है चित्रगुप्त की पूजा
चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था. इनका कार्य प्राणियों के कर्मों के हिसाब किताब रखना है. मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है. कहा जाता है कि इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है.

कैसे करें ब्रह्मा के चित्त की उपासना
प्रातः काल पूर्व दिशा में चौक बनाएं. इस पर चित्रगुप्त भगवान के विग्रह की स्थापना करें. उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं, पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें. उन्हें एक कलम भी अर्पित करें. भगवान श्री गणेश की स्मरण करके ॐ चित्रगुप्ताय नमः का 11 या 21 बाप जाप करें. इस जाप के बाद भगवान चित्रगुप्त से विद्या, बुद्धि और लेखन का वरदान मांगें. पूजा समाप्त होने के बाद उन्हें बोग लगाए और अर्पित की हुई कलम को सुरक्षित रखें और अगले साल तक इस कलम का इस्तेमाल करते रहे.

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