आसान होंगे केदारनाथ के दर्शन, लंबी लाइन नहीं टोकन से सीधे कपाट तक पहुंचेंगे श्रद्धालु
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आसान होंगे केदारनाथ के दर्शन, लंबी लाइन नहीं टोकन से सीधे कपाट तक पहुंचेंगे श्रद्धालु

7 मई को इस बार यात्रा का शुभारम्भ गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खुलने से होने जा रहा हैं. केदारनाथ धाम के कपाट 9 मई को और बद्रीनाथ धाम के दर्शन 10 मई से हो सकेंगे. 

उत्तराखंड के गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खुलने से शुरू होते ही चार धाम यात्रा का शुरुआत हो होगी.

नई दिल्ली: हिमालय में बसे भगवान केदारनाथ के दर्शनों के लिए इस बार भक्तों को सर्दी और बारिश में लंबी-लंबी लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ेगा. इस बार यात्रियों को दर्शन के लिए टोकन दिए जाएंगे और अपनी बारी आने पर ही मंदिर परिसर में थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा. उत्तराखंड के गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खुलने से शुरू होते ही चार धाम यात्रा का शुरुआत हो होगी. 7 मई को इस बार यात्रा का शुभारम्भ गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खुलने से होने जा रहा हैं. केदारनाथ धाम के कपाट 9 मई को और बद्रीनाथ धाम के दर्शन 10 मई से हो सकेंगे. 

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इसलिए है विशेषता
रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी तट पर 3584 मीटर की ऊंचाई पर बसा केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का बारहवां ज्योतिर्लिंग है. गंगोत्री धाम को मां गंगा का, तो यमनोत्री को यमुना नदी का मायका कहा जाता है. अलकनंदा नदी किनारे बसे बद्रीनाथ धाम को मोक्ष का धाम कहा जाता है. यहां भगवान श्री विष्णु योग मुद्रा में विराजमान हैं. सबसे ज्यादा तीर्थयात्री बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आते हैं, लेकिन इन धामों में सबसे दुर्गम यात्रा केदारनाथ धाम की मानी जाती है.

 

गौरीकुंड तक नहीं जा सकेगी गाड़ियां
इस बार सर्दियों में हुई भारी बर्फबारी ने यात्रा की तैयारियों को कई बार बाधित किया. बर्फ के कारण खासतौर से केदारनाथ धाम में काफी नुकसान हुआ. इस कारण यहां रुकने के इंतजाम पर भी असर पड़ा है. इसलिए इस बार केदारनाथ धाम में एक समय में अधिकतम एक हजार श्रद्धालु ही रुक सकेंगे. धाम के पास ही बने एक पड़ाव पर पांच सौ यात्री ही रूक पाएंगे, जबकि गौरीकुंड में आठ हजार भक्तों इंतजाम होगा. केदारनाथ की यात्रा पर आने वाले भक्तों की निजी गाड़ियों को भी इस बार गौरीकुंड तक नहीं आने दिया जाएगा. इन वाहनों को 6 किलोमीटर पहले सोनप्रयाग में ही रोक दिया जाएगा. हर साल लगभग 25 लाख भक्त यहां चारधामों में दर्शनों  के लिए आते हैं.

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फोटोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन के लिए बनाए गए है 36 सेंटर्स
यात्रियों की सुरक्षा के लिए इस बार भी फोटोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन के लिए 36 सेंटर्स बनाए गए हैं. यात्रा की शुरुआत ऋषिकेश से होती है. इसलिए सबसे प्रमुख केंद्र यहां पर बनाया गया है. इसके अलावा हरिद्वार, दोबाटा, बड़कोट, फाटा, सोनप्रयाग, जोशीमठ, पांडुकेश्वर सहित कई अन्य स्थानों पर भी यात्री रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर प्रशासन को सटीक जानकारी मिल सकती है. मौसम खराब होने पर या कोई अन्य जानकारी पहुंचाने के लिए रजिस्टर किए गए नंबरों पर सूचनाएं भेजी जा सकती हैं. साल 2013 की भीषण आपदा के बाद इस व्यवस्था को बनाया गया. 

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