विवाह पंचमी के दिन ही हुई थी भगवान राम और माता सीता की शादी, इसलिए धूमधाम से मनाया जाता है यह उत्सव
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष पर आने वाली पंचमी को विवाह पंचमी (Vivah Panchami) के रूप में मनाया जाता है.
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नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष पर आने वाली पंचमी को विवाह पंचमी (Vivah Panchami) के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी भगवान श्रीराम (Lord Rama) और माता सीता (Goddess Seetha) की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है, जिसके चलते सनातन धर्म में इस उत्सव का बड़ा महत्व है और यही कारण है कि यह त्यौहार एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है. किसी भी हिंदू शादी के समान, विवाह पंचमी त्योहार कई दिनों पहले शुरू हो जाता है. भारत में कई स्थानों पर विवाह पंचमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार विवाह पंचमी 1 दिसंबर को मनाया जाएगा.
विवाह पंचमी के बारे में जानें-
भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता के विवाह का वर्णन श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी (Sant Tulsidas Ji) ने बड़ी ही सुंदरता से किया है. श्रीरामचरितमानस के अनुसार- महाराजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर रचाया था. सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सके, तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ.
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गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़े. श्रीराम ने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठा लिया. इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया. जिसके बाद सीता जी ने श्रीराम को जयमाला जयमाला पहना दी. इसी दिन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है.
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ऐसे कराएं श्रीराम और माता सीता का विवाह
सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और भगवान श्री राम और माता जानकी के विवाह का संकल्प लें. स्नान करके विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें. भगवान राम और माता सीता की प्रतिकृति की स्थापना करें. भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें. या तो इनके समक्ष बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें. या "ॐ जानकीवल्लभाय नमः" का जाप करें. इसके बाद माता सीता और भगवान राम का गठबंधन कर आरती करें. इसके बाद गांठ लगे वस्त्रों को अपने पास सुरक्षित रख लें.
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