गणपति का करें महाउपाय, पूरी होगी मनोकामना, बनेंगे बिगड़े काम
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गणपति का करें महाउपाय, पूरी होगी मनोकामना, बनेंगे बिगड़े काम

आइए जानते हैं कि गणपति के 21 नाम के साथ किन 21 चीजों को चढ़ाने से श्री गणेश जी शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं —

फोटो साभार-इंटरनेट

नई दिल्ली: रिद्धि-सिद्धि के देवता गणपति की पूजा (Ganpati Pooja) के लिए बुधवार सबसे शुभ दिन है. इस दिन भगवान गणेश की साधना-आराधना करने से जीवन की सभी अड़चनें दूर होती हैं और कार्य सफल होते हैं. गणपति प्रथम पूजनीय देवता हैं. किसी भी कार्य को करने से पहले इनकी साधना की जाती है, ताकि वह कार्य निर्विघ्न संपन्न हो.

कैसे करें गणपति की पूजा?
गणपति की सौम्य रूप वाली मूर्ति का पूजन करना चाहिए. गणपति की पूजा में मुख्य रूप से दूर्वा, शमी के पत्ते और लड्डू चढ़ाया जाता है. गणपति की कृपा पाने के लिए 21 दिन का गणपति का व्रत, गणपति पार्थिव पूजा, और 12 महीनों में पड़ने वाली चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. घर में तीन गणेश की मूर्ति नहीं होनी चाहिए. व्रत वाले दिन स्नान-ध्यान आदि करके भगवान गणेश जी को 21 दूर्वा, 21 लड्डू, सिंदूर, यज्ञोपवीत और पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. ध्यान रहे कि गणपति की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग नहीं किया जाता है. पूजा में चढ़ाए गए 21 लड्डुओं में से 5 गणपति की प्रतिमा के पास रख दें. पांच ब्राह्मण को दान कर दें और बाकी लोगों को प्रसाद स्वरूप बांट दें.

गणपति को सिंदूर चढ़ाने का मंत्र— 
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्,
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।

गणपति को यज्ञोपवीत चढ़ाने का मंत्र— 
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्,
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।

गणपति की पूजा का महाउपाय
गणपति को 21 की संख्या अत्यधिक प्रिय है. आइए जानते हैं कि गणपति के 21 नाम के साथ किन 21 चीजों को चढ़ाने से श्री गणेश जी शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं —

ॐ सुमुखाय नम:       — शमी पत्र
ॐ गणाधीशाय नम:   — भृंगराज
ॐ उपापुत्राय नम:     — विल्वपत्र
ॐ गजमुखाय नम:    — दूर्वादल
ॐ लम्बोदराय नम:   — बेर का पत्र
ॐ हर पुत्राय नम:     — धतूरे का पत्र
ॐ शूर्पकर्णाय नम:   — तुलसी का पत्र
ॐ वक्रतुण्डाय नम:  — सेम का पत्र
ॐ गुहाग्रजाय नम:   — अपामार्ग
ॐ हेरम्बाय नम:      — सिदूर चूर्ण
ॐ चतुर्होत्रे नम:       — तेज पत्र
ॐ सर्वेश्वराय नम:    — अगस्त का पत्र
ॐ विकटाय नम:     — कनेर का पत्र
ॐ हेमतुण्डाय नम:   — केले के पत्र
ॐ विनायकाय नम:  — आक के पत्र
ॐ कपिलाय नम:     — अर्जुन पत्र
ॐ वटवे नम:           — देवदारु का पत्र
ॐ भालचंद्राय नम:   — महुए का पत्र
ॐ सुराग्रजाय नम:    — गांधारी वृक्ष का पत्र
ॐ सिद्धि विनायकाय नम: — केतकी का पत्र

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