करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन विवाहित महिलाएं छलनी से चांद देखकर व्रत खोलती हैं.
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नई दिल्ली: करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है. इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा.
दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाएं को छलनी से चंद्रमा (Moon) को देखकर व्रत खोलती हैं. क्या आप जानते हैं कि इस दिन चांद देखने के लिए छलनी (Chhalni) का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है? इसके पीछे अलग-अलग कहावतें प्रचलित हैं.
पौराणिक मान्यता के मुताबिक प्राचीन काल में वीरवती नाम की पतिव्रता स्त्री ने करवा चौथ (Karva Chauth 2021) का व्रत रखा. भूख की वजह से जब उसकी हालत खराब हुई तो उसके भाइयों ने चांद के उगने से पहले ही एक पेड़ की ओट में छलनी (Chhalni) लगाकर उसके पीछे दीया जला दिया. इसके बाद वीरवती ने उस रोशनी को चांद (Moon) समझकर व्रत खोल दिया, जिससे उसके पति की मौत हो गई.
जब वीरवती को इस बात का पता चला तो उसे बहुत दुख हुआ. उसने लेप लगाकर पति के शव को सुरक्षित रखा और नियमित रूप से भगवान का पूजा पाठ करती रही. उसने अगले साल फिर करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत रखा. जिसके बाद करवा चौथ माता ने प्रसन्न होकर उसके पति को जीवनदान दे दिया. तब से छलनी में से चांद को देखने की परंपरा आज तक चली आ रही है.
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अन्य मान्यताओं के मुताबिक जब महिलाएं छलनी से चांद (Moon) को देखती हैं और फिर पति के चेहरे को छलनी में दीपक रखकर देखती हैं, तो उससे निकलने वाला प्रकाश सभी बुरी नजरों को दूर करता है. साथ ही दीपक की पवित्र रोशनी साथी के चेहरे पर पड़ने से पति-पत्नी के रिश्ते में सुधार आता है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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