Chaiti Chhath Puja: आज नहाय खाय के साथ चैती छठ की शुरुआत, जानें महत्व और व्रत के नियम क्या हैं
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Chaiti Chhath Puja: आज नहाय खाय के साथ चैती छठ की शुरुआत, जानें महत्व और व्रत के नियम क्या हैं

जिस तरह नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार आता है, ठीक उसी तरह से छठ महापर्व का त्योहार भी साल में दो बार मनाया जाता है. चैत्र मास में नवरात्रि के चौथे दिन से नहाय खाय के साथ इसकी शुरुआत होती है.

चैती छठ महापर्व शुरू

नई दिल्ली: वैसे तो छठ का त्योहार (Chhath festival) बिहार और पूर्वी यूपी में खासतौर पर मनाया जाता है. लेकिन अब यह त्योहार इतना फेमस हो गया है कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाने लगा है. सूर्य की उपासना (Worshipping sungod) के त्योहार छठ को महापर्व के रूप में जाना जाता है. बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं होगा कि छठ का पर्व भी साल में दो बार मनाया जाता है. ज्यादातर लोग अक्टूबर-नवबंर के महीने में दिवाली के छह दिन बाद आने वाले छठ पर्व के बारे में ही जानते हैं. लेकिन नवरात्रि की तरह छठ भी दो बार मनाया जाता है (Chhath is celebrated twice). एक बार चैत्र के महीने में और दूसरी बार कार्तिक के महीने में.

  1. नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है चैती छठ महापर्व
  2. 19 अप्रैल सोमवार को सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होगा त्योहार
  3. इस दौरान करीब 36 घंटे तक व्रत रखने का है नियम

सूर्य देव की बहन हैं छठी मईया

चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से नहाय खाय (Nahay khay) के साथ चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है. चैत्र माह में पड़ने के कारण इसे चैती छठ (Chaiti Chhath) के नाम से जाना जाता है. इस साल चैती छठ महापर्व की शुरुआत 16 अप्रैल शुक्रवार से हो रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मईया, सूर्यदेव की बहन हैं. यही कारण है कि छठ के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से छठी मईया भी प्रसन्न होती हैं. ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व के दौरान सूर्य को अर्घ्य देने से घर में सुख-शांति और आर्थिक संपन्नता आती है.

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चैती छठ पर्व

16 अप्रैल को नहाय-खाय: इस दिन घर की अच्छे से साफ सफाई करके पवित्र नदियों या तालाबों के साफ जल से स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. चैती छठ रखने वाले व्रती इस दिन चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी खाते हैं. 

17 अप्रैल को खरना: नहाय खाय के अगले दिन खरना (Kharna) होता है. इस दिन व्रती को सुबह से लेकर शाम तक निर्जला व्रत रखना होता है. शाम में मिट्टी के चूल्हे पर दूध और गुड़ से बनी खीर बनाकर, भगवान को भोग लगाकर खाते हैं. जब तक चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

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18 अप्रैल को शाम का अर्घ्य- 18 अप्रैल रविवार को अस्ताचलगामी यानी अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन नदी या तालाब के किनारे स्थित घाट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं. लेकिन कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों के कारण इस साल लोग घाट पर नहीं जा पाएंगे.

19 अप्रैल को चैती छठ समापन- 19 अप्रैल सोमवार को चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सुबह उदित हो रहे सूर्य को अर्घ्य देकर चैती छठ का समापन हो जाएगा. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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