Chamoli disaster 2021: चमोली हादसे की वजह आई सामने, जानें- क्या कहती है 53 वैज्ञानिकों की स्टडी
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Chamoli disaster 2021: चमोली हादसे की वजह आई सामने, जानें- क्या कहती है 53 वैज्ञानिकों की स्टडी

चमोली (Chamoli) की घाटियों में 7 फरवरी को आए विनाशकारी सैलाब (Chamoli disaster 2021) ने भारी तबाही मचाया था. इस हादसे (Chamoli disaster Cause) की जिम्मेदार रोंटी, ऋषिगंगा और धौलीगंगा (Rishiganga and Dhauliganga) घाटियों में हिमस्खलन (Avalanche) के साथ-साथ एक विशाल चट्टान भी थी.

Chamoli disaster 2021

नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) की घाटियों में 7 फरवरी को आए विनाशकारी सैलाब (Chamoli disaster 2021) ने भारी तबाही मचाया था. इस सैलाब में दो जलशक्ति परियोजना बर्बाद हो गई थी. इसके साथ ही पूरे इलाके में 200 से ज्यादा लोग काल के मुंह में समा गए थे. इस दर्दनाक हादसे पर 53 वैज्ञानिकों की टीम ने रिसर्च किया है. 

  1. चमोली की घाटियों में 7 फरवरी को आए सैलाब ने भारी तबाही मचाया
  2. बड़ी बर्फ की चट्टानें तपोवन हाइड्रोपॉवर साइट की सुरंग में मिली थीं
  3. इस सैलाब में दो जलशक्ति परियोजना बर्बाद हो गई थी

ये थी दर्दनाक हादसे की वजह 

इस शोध से पता चला है कि इस हादसे (Chamoli disaster Cause) की जिम्मेदार रोंटी, ऋषिगंगा और धौलीगंगा (Rishiganga and Dhauliganga) घाटियों में हिमस्खलन (Avalanche) के साथ-साथ एक विशाल चट्टान भी थी. शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट की तस्वीरें, भकंपीय रिकॉर्ड, न्यूमेरिकल मॉडल्स, प्रत्यक्षदर्शियों और वीडियो के आधार पर पाया कि वास्तव में ये घटना रोंटी की चोटी के उत्तरी खड़े हिस्से से एक 27 करोड़ क्यूबिकमीटर की चट्टान के खिसकने और ग्लेशियर की बर्फ के स्खलन होने के कारण हुई थी. 

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क्या कहते हैं शोधकर्ता 

साइंसमैग में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया है कि चमोली हादसे में (Chamoli Disaster) चट्टान और हिमस्खलन तेजी से एक विशाल मलबे के बहाव में मिल गया जिसमें 20 मीटर से भी बड़े- बड़े पत्थर धाटी से आ रहे थे. इस वजह से तबाही और ज्यादा हो गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि चमोली की घटियों जैसे खतरनाक इलाकों में ऋषिगंगा और धौलीगंगा परियोजनाओं जैसी मानवीय गतिविधियां ऐसी आपदाओं का जोखिम और बढ़ा देती हैं. साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में हुई थी जिसमें चार हजार लोग मारे या लापता हो गए थे.

वैज्ञानिकों ने की विस्तृत पड़ताल 

इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने सभी उपकरण और आंकड़ों की मदद से इस घटना की वजह को समझने की कोशिश की. घटनास्थल पर कैसे चट्टान में दरार पड़ी? बर्फ उस दरार से पहले कितनी दूरी पर आ चुकी थी इन सबकी जानकारी इकट्ठी की गई. 20 मीटर मोटे ग्लेश्यिर ने दरारों को 500 मीटर चौड़े टुकड़े में बदल दिया और फिर करीब 27 करोड़ क्यूबिक मीटर की चट्टान टूटी और इससे वहां मलबे की एक नदी बन गई.

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VIDEO

इस तरह से आया विनाश 

शोधकर्ताओं ने वहां के लोगों से बातचीत की और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर पाया कि बड़ी बर्फ की चट्टानें तपोवन हाइड्रोपॉवर साइट की सुरंग में मिली थीं. भारी चट्टान और हिमस्खल के घाटी के तल तक पहुंचने के बाद यह बहाव उत्तरपश्चिम दिशा की ओर बढ़ने लगा  इसके साथ ही घर्षण से बर्फ भी पिघली जिससे बहाव तेज हुआ और देखते ही देखते ये मलबे में तब्दील हो गया.

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