DNA with Sudhir Chaudhary: दुनिया में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस वाले डॉक्टर! अब मोबाइल ऐप्स करेंगे मरीजों का इलाज
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DNA with Sudhir Chaudhary: दुनिया में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस वाले डॉक्टर! अब मोबाइल ऐप्स करेंगे मरीजों का इलाज

DNA on Medical Apps and Artificial Intelligence: अगर अब आप कभी बीमार हों तो आपके पास इलाज कराने के 2 विकल्प होंगे. आप चाहें तो डॉक्टर के पास जाकर चेक अप करा सकते हैं या फिर Artificial Intelligence की मदद से अपना इलाज करवा सकते हैं.

DNA with Sudhir Chaudhary: दुनिया में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस वाले डॉक्टर! अब मोबाइल ऐप्स करेंगे मरीजों का इलाज

DNA on Medical Apps and Artificial Intelligence: अगर आप कभी बीमार हों तो आप किसी डॉक्टर के पास जाना पसन्द करेंगे या आप उन मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करेंगे, जो Artificial Intelligence की मदद से एक डॉक्टर की तरह आपका इलाज कर सकते हैं. दरअसल अब दुनिया में ऐसे ऐप्स की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है और इन Apps को रेगुलेट करने की प्रक्रिया भी कई देशों में शुरू हो गई है. 

भारत समेत कई देशों में बने मेडिकल ऐप्स

अमेरिका में इस तरह के Apps को रेगुलेट करने के लिए नई नीति बनाने पर काम शुरू हो गया है. इसके अलावा कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और भारत में भी अब इस तरह के Apps उपलब्ध हैं, जो कई तरह की बीमारियों के इलाज का दावा करते हैं.  इनमें जो Apps लोगों को सबसे ज्यादा पसन्द आ रहे हैं, वो Mental Health यानी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हैं.

ब्रिटेन के मशहूर Science Journal Nature में छपे एक लेख के मुताबिक वर्ष 2020 में अमेरिका में Mental Health से संबंधित Apps को 40 लाख बार डाउनलोड किया गया. ये सारे Apps Artificial Intellegence की तकनीक पर आधारित हैं. बड़ी बात ये है कि ये Industry तेजी से विकसित हो रही है. अनुमान है कि वर्ष 2026 तक दुनिया में AI Based Healthcare Apps की ये Industry 37 Billion Dollar यानी दो लाख 80 हजार करोड़ रुपये की हो जाएगी. ये सब कुछ Artificial Intelligence की मदद से मुमकिन हो पाया है.

कैसे काम करते हैं आर्टिफिशियल मेडिकल ऐप्स

सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि Artificial Intelligence है क्या और ये Apps काम कैसे करते हैं?

जब एक मशीन में इंसानों की तरह सोचने, समझने, बात करने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर ली जाती है तो उस तकनीक को Artificial Intellegence कहा जाता है. सरल शब्दों में कहें तो ये तकनीक इंसान के मस्तिष्क की तरह ही काम करती है. अब इसका इस्तेमाल लोगों का इलाज करने के लिए भी किया जा रहा है.

उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में हाल ही में इस तकनीक पर आधारित पर एक ऐप लॉन्च हुआ है. जो मरीजों के लक्षण और उनसे कुछ सवालों के जवाब जानने के बाद बीमारी का पता लगा लेता है. अगर आप अब भी नहीं समझे तो हम आपको सरल तरीके से बताते हैं कि ये ऐप काम कैसे करता है?

मरीज से सवाल-जवाब के बाद बता देगा बीमारी

मान लीजिए किसी व्यक्ति को लगातार कई दिनों से खांसी हो रही है और उसे ऐसा लगता है कि उसे टीबी की बीमारी हो सकती है तो वो इस App पर लॉग-इन करेगा और इसके बाद उसे इस ऐप पर अपनी खांसी की आवाज के नमूनों को रिकॉर्ड करना होगा. अलग अलग समय पर 8 से 10 नूमने इकट्ठा करने के बाद ये ऐप Artificial Intellegence की मदद से उस मरीज को ये बता देगा कि उसे टीबी हो सकती है या नहीं.

इसके अलावा इस तकनीक की मदद से उस व्यक्ति के चेहरे के हाव-भाव का भी अध्ययन किया जाएगा और मरीज को अपने लक्षण के संबंधित कुछ सवालों के जवाब भी देने होंगे. हालांकि इस समय दुनिया में इस तरह के Apps काफी कम हैं, जो बीमारी का पता लगाने के बाद तुरंत उसका सही और सटीक इलाज भी बता सकते हैं. लेकिन अमेरिका और कनाडा में ऐसे Apps का इस्तेमाल हो रहा है.

अगर ये Apps ऐसे मरीजों का इलाज करने में कामयाब होते हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती तो ये Medical Science के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी पड़ाव साबित होगा. क्योंकि अब भी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जो कभी डॉक्टरों तक पहुंच ही नहीं पाते.

उदाहरण के लिए, अकेले भारत में 834 लोगों पर एक डॉक्टर है. हमारे देश में ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो बीमार होने पर डॉक्टरों से इलाज ही नहीं करा पाते. लेकिन अगर ये Apps सही नतीजे देते है तो इससे हर व्यक्ति तक इलाज पहुंच सकेगा.

समाज में डॉक्टरों की अपनी जगह बनी रहेगी

हालांकि इसका मतलब ये भी नहीं है कि ये Apps पूरी तरह अस्पतालों और डॉक्टरों की जगह ले सकते हैं. ये Apps आपके चेहरे के हाव-भाव देख कर ये तो बता सकते है कि आप दुखी हैं, मायूस हैं या तनाव में है. इसके अलावा ये आपके लक्षण जानने के बाद ये भी बता सकते हैं कि आपको कौन सी बीमारी हो सकती है और उसका इलाज क्या होना चाहिए.

लेकिन इनकी मदद से आप पूरी तरह ठीक हो सकते हैं और आपको डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ेगी, इसका जवाब अब तक इन Apps को बनाने वाली कम्पनियां भी नहीं दे पाई हैं. एक और बात पिछले एक दशक में Artificial Intellegence ने इंसानों के बीच खुद को इतना विकसित कर लिया है कि लोग इंसानों से ज्यादा इस तकनीक पर आधारित Devices और Apps पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं. हालांकि Human Intellegence और Artificial Intellegence की इस लड़ाई में, इंसानों को कम करके आंकना एक बड़ी भूल भी हो सकती है.

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