Agnibaan SOrTeD Rocket Launch: स्पेस सेक्टर में भारतीय कंपनी अग्निकुल कॉसमॉस (AgniKul Cosmos) ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. 30 मई को अग्निबाण SOrTeD के मिशन 01 का सफल लॉन्च किया गया.
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Agnibaan Rocket Launch: स्पेस टेक्नोलॉजी में भारत के निजी सेक्टर ने बड़ी छलांग लगाई है. चेन्नई के अंतरिक्ष स्टार्ट-अप 'अग्निकुल कॉसमॉस' ने अग्निबाण रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. गुरुवार सुबह श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्च पैड से अग्निबाण के SubOrbital Technological Demonstrator या SOrTeD मिशन की लॉन्चिंग हुई. दो दिन पहले, कंपनी को इसका लॉन्च टालना पड़ा था. अग्निकुल कॉसमॉस ऐसा करने वाली यह भारत की दूसरी प्राइवेट कंपनी बन गई है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अग्निकुल को बधाई दी है. ISRO सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, 'अग्निबाण सॉर्टेड-01 मिशन के उनके प्रक्षेपण स्थल से सफल प्रक्षेपण के लिए अग्निकुल कॉसमॉस को बधाई. यह एक बड़ी उपलब्धि है....'
ISRO ने कहा कि यह सेमी-क्रायोजेनिक लिक्विड इंजन की पहली कंट्रोल्ड फ्लाइट थी. सिंगल-स्टेज वाला यह रॉकेट 'अग्निबाण' का पूर्ववर्ती है. कंपनी के अनुसार, 'अग्निबाण' दो चरणों वाला लॉन्च वीइकल है जिसे काफी हद तक कस्टमाइज किया जा सकता है. 'अग्निबाण' अपने साथ 300 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है और उसे 700 किलोमीटर के ऑर्बिट में प्लेस कर सकता है.
Congratulations @AgnikulCosmos for the successful launch of the Agnibaan SoRTed-01 mission from their launch pad.
A major milestone, as the first-ever controlled flight of a semi-cryogenic liquid engine realized through additive manufacturing.@INSPACeIND
— ISRO (@isro) May 30, 2024
गुरुवार के मिशन ने 'अग्निकुल कॉसमॉस' ने तीन उपलब्धियां हासिल कीं. पहला- एक निजी लॉन्च पैड (श्रीहरिकोटा में अग्निकुल लॉन्च पैड जिसका नाम धनुष है) से भारत का पहला लॉन्च करना. दूसरा- देश का पहला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन-पावर्ड रॉकेट का लॉन्च, और तीसरा- लॉन्च वीइकल को पावर देने के लिए घरेलू स्तर पर डिजाइन और बनाए गए पहले सिंगल-पीस 3D-प्रिंटेड इंजन का इस्तेमाल करना.
'अग्निबाण' के SubOrbital Technological Demonstrator मिशन का मकसद एक टेस्ट फ्लाइट की तरह काम करना था. यह अग्निकुल की पहली फ्लाइट थी. 'अग्निबाण' सब-ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (SOrTeD) को लॉन्च करने की यह अग्निकुल की पांचवीं कोशिश थी. कंपनी 22 मार्च से ही इसमें लगी हुई थी.
यह रॉकेट लिक्विड और गैस प्रोपेलेंट्स के मिक्सचर के साथ एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का यूज करता है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसे ISRO ने अपने किसी भी रॉकेट में अभी तक प्रदर्शित नहीं किया गया है.
(एजेंसी इनपुट्स सहित)