Dark Watchers California: 300 सालों से नहीं सुलझा कैलिफोर्निया की इन डरावनी परछाइयों का रहस्य, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक
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Dark Watchers California: 300 सालों से नहीं सुलझा कैलिफोर्निया की इन डरावनी परछाइयों का रहस्य, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक

Dark Watchers California: इन परछाइयों को कैलिफोर्निया (California) में डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) कहा जाता है. ये परछाइयां धुंधली होती हैं. 10 फीट तक लंबाई के साथ ये ज्यादातर हैट या टोपी के साथ जैकेट पहने हुए दिखती है. ज्यादातर ये दोपहर या उसके बाद अंधेरा होने से पहले तक दिखती हैं.

Dark Watchers

नई दिल्ली: कैलिफोर्निया (California) में लोग ढेर सारी परछाइयां दिखने से बेहद परेशान हैं. ये परछाइयां अजीबोगरीब हैं. कभी हैट और कभी जैकेट जैसे लबादे में सैंटा लूसिया माउटेंस पर घूमती या फिर लोगों की तरफ देखती दिख जाती हैं. कई बार तो ये परछाइयां आसमान में उड़ती हुई नजर आती हैं. कुछ सेकेंड्स तक दिखने के बाद ये अचानक गायब हो जाती हैं. पिछले 300 सालों से इस पहाड़ पर जाने वाले हाइकर्स इन्हें लगातार देख रहे हैं. आइए जानते हैं क्या कहते हैं वैज्ञानिक

  1. कैलिफोर्निया में लोग ढेर सारी परछाइयां दिखने से बेहद परेशान हैं
  2. इन परछाइयों को कैलिफोर्निया में डार्क वॉचर्स कहा जाता है

क्या है डार्क वॉचर्स

इन परछाइयों को कैलिफोर्निया (California) में डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) कहा जाता है. ये परछाइयां धुंधले होते हैं. 10 फीट तक लंबाई के साथ ये ज्यादातर हैट या टोपी के साथ जैकेट पहने हुए दिखते हैं. ज्यादातर ये दोपहर या उसके बाद अंधेरा होने से पहले तक दिखते हैं.

सैंटा लूसिया माउंटेंस 

कैलिफोर्निया के सैंटा लूसिया माउंटेंस (Santa Lucia Mountains) के पहाड़ियों पर पिछले 300 सालों से हाइकिंग के लिए जाने वाले लोगों को ये परछाइयां दिखती है. उन्होंने इन डार्क वॉचर्स के बारे में कई बार बताया है. हालांकि अभी तक इन डार्क वॉचर्स ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है.

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सबने किया महसूस

प्रसिद्ध अमेरिकन लेखक जॉन स्टीनबेक (John Steinbeck) ने भी डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) को देखा था और इसे महसूस भी किया था. उसके बाद उन्होंने 1938 में अपनी कहानी 'फ्लाइट' में इन परछाइयों का जिक्र किया था. स्टीनबेक ने कहा था, 'कोई नहीं जानता कि ये डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) कहां से आते हैं. इनका इतिहास क्या है. ये कहां रहते हैं. पर अच्छा यही है कि आप उन्हें नजरअदांज करें. उनमें रुचि नहीं दिखाएं.'

दिमाग का वहम 

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) जैसी कोई चीज नहीं है. दरअसल ये पहाड़ पर रोशनी और अंधेरे की वजह से बनने वाली आकृतियों को लोग डरावनी परछाइयां समझ लेते हैं. ये उनके दिमाग का वहम मात्र है. ये पैरीडोलिया (Pareidolia) का केस सकता है.

क्या कहते हैं शोधकर्ता

कुछ शोधकर्ताओं का मत है कि ये परछाइयां पहाड़ की स्थिति, रोशनी, बादलों की वजह से बनती है. जिसे लोग डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) कहने लगे हैं. ये दोपहर और उसके बाद इसलिए दिखते हैं क्योंकि सूरज की पोजिशन ऐसी होती है, जिससे ये परछाइयां बनने लगती हैं.

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पहाड़ के ऊपर बादल और सूरज की विपरीत दिशा

ऐसी ही कहानियां हार्ज माउंटेन (Harz Mountain) के पास रहने वाले जर्मनी के स्थानीय लोग भी सुनाते हैं. वो कहते हैं कि उन्हें भी सैकड़ों सालों से ब्रोकेन पीक (Brocken Peak) पर ऐसे डार्क वॉचर्स (Dark Watchers) दिखाई देते आए हैं. लेकिन आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब पहाड़ के ऊपर बादल होते हैं और सूरज विपरीत दिशा में होता है

सूरज की रोशनी है वजह 

कुछ परछाइयों के ऊपर सतरंगी हैलो (Rainbow Colored Halo) भी दिखता है. ये पानी की बूंदों से परावर्तित होकर सूरज की रोशनी की वजह से बनता है. हार्ज माउंटेन पर यह प्रक्रिया बेहद सामान्य है. क्योंकि वहां धुंध, बादल और कोहरे की वजह से हमेशा ओस की बूंदें जमा रहती हैं.

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