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नई दिल्ली: आसमान में बादलों का निहारना यकीनन एक रोचक अहसास है। बादल पानी या बर्फ के हजारों नन्हें नन्हें कणों से मिलकर बनते हैं। ये नन्हें कण इतने हल्के होते हैं कि वे हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं। बादलों में संघनन के कारण बूंदें बनती हैं। ऐसा तब होता है जब गरम हवा ऊपर उठती है और ठंडी हो जाती है। बादलों को देखकर मौसम की भविष्यवाणी की जा सकती है।
सूर्य की गर्मी से नदियों, तालाबों का पानी भाप बनकर हवा में उड़ता रहता है। वाष्प से युक्त गर्म हवा हल्की होने के कारण आकाश में ऊपर उठती है। अधिक वाष्प वाली हवा जब एक जगह जमा हो जाती है तो इसका स्वरूप धुएं जैसा हो जाता है। पानी वाष्पयुक्त हवा के इसी रूप को हम 'बादल' कहते हैं। बादल आमतौर से पानी की बारीक-बारीक बूंदों से या बर्फ के बारीक कणों से मिलकर बने होते हैं।
बादलों की वजन के बारे में जानना बेहद दिलचस्प है। आम बादलों (बिना आंधी-तूफान वाले) में लाखों छोटी-छोटी बूंदे समाहित होती है। प्रति क्यूबिक मीटर में गणना करने पर इनका वजन 0.5 से लेकर एक ग्राम तक होता है। इसका मतलब यह हुआ कि टिपिकल बादल 1 किलोमीटर x1 किलोमीटर x 1 किलोमीटर आकार वाले बादलों में 500 मिलियन ग्राम या 551 टन (1.1 मिलियन पाउंड्स) पानी होता है। इसके वजन का अगर आप आकलन करे तो यह 100 हाथियों से भी ज्यादा के बराबर होता है। यानी इस आकार वाले बादलों में पानी का वजन हाथियों के वजन से भी ज्यादा होता है।