क्या जानवरों की तरह इंसानों में भी अपने आप अंग उग सकते हैं? इस सवाल का जवाब सदियों से ढूंढा जा रहा है. अब वैज्ञानिकों ने मेंढक पर एक प्रयोग कर इस बारे में सटीक बात बताई है.
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नई दिल्ली: छिपकलियों और तारामछली जैसे कुछ जीवों द्वारा अंग को फिर से उगाने की प्राकृतिक क्षमता से प्रेरणा लेते हुए वैज्ञानिक इस बात पर काम कर रहे हैं कि इसे लैब में कैसे लागू किया जा सकता है. यदि ऐसा होता है तो उन लाखों लोगों की मदद हो सकती है जिन्होंने अपना अंग खो दिया है.
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि प्रोस्थेटिक्स जैसी तकनीक में प्रगति हुई है लेकिन डॉक्टर मानव अंग को फिर से उगाने के विभिन्न तरीकों की जांच कर रहे हैं. साइंस एडवांसेज जर्नल में बुधवार को प्रकाशित एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों के एक समूह ने बताया कि वे वयस्क मेंढकों में पैरों के फिर से उगाया जा सकता है.
अमेरिका स्थित वैज्ञानिक माइकल लेविन और उनके सहयोगियों ने कहा कि उन्होंने एक प्रकार के अफ्रीकी पंजे वाले मेंढक (जेनोपस लाविस) में एक कटे हुए पैर को फिर से उगते देखा है. उन्होंने इस प्रक्रिया को "regenerative medicine के लक्ष्य के करीब कदम" के रूप में बताया है.
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इस स्टडी के एक पार्ट में सामने आया कि कैसे एक जेनोपस मेंढक के पैर को विकसित किया गया. प्रक्रिया के दौरान वैज्ञानिकों ने स्थानीय सूक्ष्म वातावरण पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए पांच-दवाओं का कॉकटेल और 'बायोडोम' नामक एक सिलिकॉन पहनने योग्य बायोरिएक्टर के संयोजन का उपयोग किया. वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि कॉकटेल केवल 24 घंटे के लिए लगाया गया था. 18 महीनों के बाद अब ये अंग लगभग पूरी तरह फिर से मूवमेंट करने लगा है.
नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान विभाग में जेम्स मोनाघन नाम के एक एसोसिएट प्रोफेसर जो इस रिसर्च में शामिल नहीं थे, उन्होंने परिणामों को प्रभावशाली और रोमांचक कहा है.
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