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नई दिल्ली: अंटार्कटिका (Antarctica) में मौजूद एक विशाल आइसबर्ग (Iceberg) का टुकड़ा समुद्र की तरफ खिसक रहा है. इस आइसबर्ग का साइज 5,800 स्क्वैयर किलोमीटर है. यह हिमखंड दक्षिण जॉर्जिया (South Georgia) की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों को इस हिमखंड (Glacier) ने चिंता में डाल दिया है. अगर इसकी यही रफ्तार रही तो समुद्र में आगे बढ़ रहे जीवों के लिए यह बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
यह ठोस चट्टान काफी विशाल है और अमेरिका के न्यूयॉर्क (New York) शहर से भी 7 गुणा बड़ी है. इस आइसबर्ग से दुनिया के पर्यावरण (Environment) को काफी नुकसान पहुंच सकता है.
अंटार्कटिका (Antarctica) से केवल बर्फ का टूटना भी पर्यावरण (Environment) में बदलाव का कारण बन सकता है. वैसे तो इस बर्फ का टूटना नॉर्मल प्रक्रिया है. हालांकि कई विशेषज्ञ (Experts) मानते हैं कि बड़े हिमखंडों का टूटना क्लाइमेट चेंज (Climate Change) का ही नतीजा है. बर्फ की चट्टानें समुद्र की विशाल लहरों के साथ धीरे-धीरे आगे सरकती जाती हैं. इस बीच तूफान से इसके छोटे-छोटे टुकड़े भी होते हैं.
कुछ ऐसा ही इस चट्टान के साथ भी हो रहा है. लेकिन इस बीच सबसे बड़ा हिमखंड (Glacier) आगे ही बढ़ता जा रहा है. अगर यह आइसबर्ग किसी कम पानी वाली जगह पर रुक गया तो आस-पास के समुद्री जीवों की मौत होना तय है. यह आइसबर्ग कई छोटी-बड़ी मछलियों और पेड़-पौधों को खत्म कर देगा. इस हिमखंड का नाम A68a रखा गया है.
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पेंगुइन (Penguin) और सील (Seal) जैसे जीव खाने की तलाश में काफी लंबी दूरी तय करते हैं. इस चट्टान के कारण वे रास्ता भटक सकते हैं. इसके अलावा वैज्ञानिकों की मानें तो इस हिमखंड के अलग हो जाने से वैश्विक समुद्री (Global Marine Level) स्तर में 10 सेंटीमीटर की बढ़त हो जाएगी. साथ ही इस हिमखंड के बीच में होने के कारण समुद्री जहाजों को भी मुश्किल हो सकती है. अगर चट्टान के कई टुकड़े पानी के नीचे बैठ गए तो पानी के ऊपर से दिखाई न देने के कारण जहाजों की दुर्घटना हो सकती है.