49 साल पहले एटम बम की तरह फटा था यह तारा, आज तक ब्रह्मांड में फैली है उसकी रोशनी
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49 साल पहले एटम बम की तरह फटा था यह तारा, आज तक ब्रह्मांड में फैली है उसकी रोशनी

हबल स्पेस टेलीस्कोप ने 1975 में हुए एक नोवा विस्फोट के अवशेष देखे हैं. किसी परमाणु बम की तरह एक सफेद बौना तारा फट पड़ा था. अंतरिक्ष में आज भी उस धमाके से निकली रोशनी मौजूद है.

49 साल पहले एटम बम की तरह फटा था यह तारा, आज तक ब्रह्मांड में फैली है उसकी रोशनी

White Dwarf Nova Explosion: आज से करीब 49 साल पहले, 1975 में धरती से करीब 3,400 प्रकाश वर्ष दूर एक महाविस्फोट हुआ. किसी परमाणु बम जैसा यह धमाका एक बाइनरी स्टार सिस्टम में हुआ था. उस स्टार सिस्टम को HM Sagittae कहते हैं. NASA के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने 1975 में हुए धमाके के अवशेष देखे हैं. यह खोज इसलिए हैरान करती है क्योंकि आमतौर पर ऐसे विस्फोट की रोशनी कुछ समय बाद कम होने लगती है.

सफेद बौने तारों में कैसे होता है धमाका?

HM Sagittae एक बाइनरी स्टार सिस्टम है. मतलब इसमें दो तारे होते हैं जिनमें से एक सफेद बौना तारा और दूसरा लाल दानव तारा होता है. लाल दानव तारे से निकलता पदार्थ सफेद बौने तारे के चारों ओर एक घूमती डिस्क जैसी बना लेता है. अगर कभी इस डिस्क से बहुत सारा पदार्थ सफेद बौने तारे पर गिर तो दबाव और तापमान इतना बढ़ जाता है कि सतह पर एक थर्मोन्यूक्लियर धमाका होता है.

यह धमाका इतना बड़ा नहीं होता कि सफेद बौने तारे को सुपरनोवा में बदल दे, लेकिन इससे इतनी ऊर्जा जरूर निकलती है कि पूरा स्टार सिस्टम चमक उठता है. सफेद बौने तारों में ऐसे धमाकों को 'नोवा' कहा जाता है.

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घटने के बजाय बनी रही चमक

अप्रैल और सितंबर, 1975 के बीच में HM Sagittae नोवा से गुजरा. इससे स्टार सिस्टम की चमक छह गुना बढ़ गई. यह इतना चमकीला हो गया कि शौकिया एस्ट्रोनॉमर्स भी अपने टेलीस्कोप से उस पर नजर रख सकते थे. नोवा होने के बाद से ही HM Sagittae ने नियमों का पालन करना छोड़ दिया.

अधिकतर नोवा कुछ दिन बाद मंद पड़ जाते हैं लेकिन HM Sagittae की चमक कई साल तक चरम पर रही. 1980s के मध्य में इसकी चमक धीमी पड़नी शुरू हुई. हालांकि, चमक धुंधली पड़ने की रफ्तार अब भी बहुत धीमी थी. आज भी यह सफेद बौना तारा चमक रहा है.

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बढ़ रहा है सफेद बौने तारे का तापमान

पिछले कई सालों में तमाम टेलीस्कोप की मदद से यह जानने की कोशिश हुई कि आखिर वहां चल क्या रहा है. अब वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के 2021 वाले डेटा के आधार पर पता लगाया है कि सफेद बौने तारे का तापमान कम होने के बजाय बढ़ रहा है. 1990 में सफेद बौने तारे का तापमान 2 लाख डिग्री सेल्सियस था.

हबल को इस तारे के स्पेक्ट्रा में आयनाइज्ड मैग्नीशियम की मजबूत एमिशन लाइन मिली है. 1990 में यह लाइन नहीं थी, मतलब इस बीच में तारे का तापमान करीब 2.5 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह इसे अभी तक मिले सबसे गर्म सफेद बौने तारों में से एक बनाता है. चमक घट रही है लेकिन तापमान बढ़ रहा है, ऐसा क्यों? यह अभी तक राज है.

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