क्या मंगल ग्रह पर जिंदगी है? ये सवाल सदियों से लोगों के जेहन में घूम रहा है. 26 साल पहले नासा ने ये घोषणा की थी कि अंटार्कटिका में मिली मंगल ग्रह से आई चट्टान में जीवन के लक्षण हैं लेकिन अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है.
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नई दिल्ली: 26 साल पहले मंगल ग्रह की एक चट्टान अंटार्कटिका पर मिली थी और तब से इस चट्टान को देखकर ये माना जा रहा था कि इसमें जीवन के संकेत मौजूद हैं. अब नई रिसर्च में ये क्लियर कर दिया गया है कि मंगल ग्रह पर अतीत में जीवन नहीं था.
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल ग्रह से एक उल्कापिंड जिसने दशकों पहले यहां पृथ्वी पर धूम मचाई थी. उसमें मंगल पर प्राचीन या आदिम जीवन का कोई संकेत नहीं है.
नासा ने 1996 में घोषणा की थी कि मंगल ग्रह की इस चट्टान में कार्बनिक यौगिक मिले हैं जो जीवित जीवों द्वारा ही जमा किया जा सकता है. कई वैज्ञानिकों को इस बारे में संदेह था जिसके बारे में अब ठोस दावा कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के एंड्रयू स्टील के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किया गया है.
स्टील के अनुसार, उल्कापिंड के छोटे नमूनों से पता चलता है कि कार्बन युक्त यौगिक वास्तव में लंबे समय तक चट्टान के ऊपर बहने वाले पानी से पैदा हुए थे. ये शोध 'साइंस' में पब्लिश हुआ था.
दरअसल, 1984 में अंटार्कटिका में एक 2 किलोग्राम की चट्टान की खोज की गई था. इसके बारे में ये माना जा रहा था कि ये चट्टान मंगल ग्रह के शुरुआती दौर की है जब वहां पानी था. यह चट्टान लाखों साल पहले मंगल ग्रह से उछली थी जो बाद में उल्कापिंड के रूप में पृथ्वी पर आ गिरी थी.
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हजारों साल पहले अंटार्कटिका में एक बर्फ के मैदान पर गिरने से पहले ये उल्कापिंड लाखों वर्षों तक अंतरिक्ष में घूमता रहा था. इस छोटे से भूरे-हरे रंग के टुकड़े का नाम एलन हिल्स 84001 उस पहाड़ी के नाम पर रखा गया जहां यह पाया गया था.
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