Science News: सदी के अंत तक 90 प्रतिशत समुद्री प्रजातियों का हो जाएगा 'The End', स्टडी में सामने आई चौंकाने वाली बात
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Science News: सदी के अंत तक 90 प्रतिशत समुद्री प्रजातियों का हो जाएगा 'The End', स्टडी में सामने आई चौंकाने वाली बात

Greenhouse Gas Emissions: कनाडा में डलहौजी विश्वविद्यालय के रिसर्चस ने एक शोध किया है. शोध के बाद उन्होंने जो परिणाम निकाले वो बेहद चौंकाने वाले हैं. विशेषज्ञों ने पाया है कि अगर ग्रीनहाउस गैस इसी तरह निकलती रही तो सदी के अन्त तक यानि 2100 तक दुनिया से समुद्र की लगभग 25,000 प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी. इस दौरान सबसे ज्यादा खतरा स्तनधारियों, रे फिश और शार्क पर होगा. 

समुद्री जीवों के अस्तित्व पर खतरा बताता है ये शोध

Greenhouse Gas Emissions Climate Change: ऐसा कहा जाता है कि आवश्कता आविष्कार की जननी है. लेकिन इंसानों की लालच ने आविष्कार को आवश्कता के ऊपर पहुंचा दिया है. विशेषज्ञों ने ऐसा कहा है कि हमारा विकास अब हमें विनाश की ओर ले जा रहा है. इसी क्रम में कनाडा के डलहौजी विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि ग्रीनहाउस के बढ़ते प्रभाव को कम नहीं किया गया, तो इसके भयावह परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रीनहाउस गैस की मात्रा इसी तरह बढ़ती रही तो समुद्र के तल से 328 फीट नीचे रहने वाली लगभग 25,000 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है. शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि सन 2100 तक तक जीवों की एक बड़ी संख्या धरती से गायब हो जाएगी.
 
ज्यादा खतरा शार्को और स्तनधारियों पर 

शोधकर्ताओं ने परिणामों का विश्लेषण करके ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी करने को लेकर कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने बताया कि शार्क, रे फिश और स्तनधारियों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा. आपको बता दें कि माको शार्क को 2018  से लुप्तप्राय के श्रेणी मेंं ही शामिल कर दिया गया था. बेडफोर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी के इकोलॉजिस्ट डैनियल बॉयस कहते हैं कि ये परिणाम बेहद चौंकाने वाले है. जीवों के गायब होने से पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़े खतरनाक परिणाम सामने आएंगे और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव खाद्य श्रृंखला पर पड़ेगा. अगर ऐसा होता है तो मानव जीवन के अस्तित्व पर भी खतरा मंडाराने लगेगा.

शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी

पर्यावरण को लेकर वैज्ञानिकों ने कड़ी चेतावानी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन की मात्रा को कम करने की ओर कदम बढ़ाना होगा. वरना सदी के अंत तक सभी समुद्री प्रजातियों में से करीब 90 प्रतिशत जीवों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की संभावना है. 

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