नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने हाल ही में मंगल ग्रह (MARS) पर अपने रोबोट पर्सेवरेंस रोवर (Perseverance Rover) को सफलतापूर्वक उतारा है. यह रोवर अब मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना की तलाश करेगा. आपको बता दें कि ये नासा का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन है जिसके लिए नासा के सैकड़ों वैज्ञानिकों की टीम दिन रात काम कर रही थी. इन्हीं में से एक वैज्ञानिक हैं प्रोफेसर संजीव गुप्ता (Professor Sanjeev Gupta) .
वन बेडरूम के फ्लैट से मिशन मंगल
प्रोफेसर संजीव गुप्ता भी नासा के इस खास मिशन का हिस्सा हैं. और खास बात यह है कि वह पर्सेवरेंस रोवर को नासा के हेडक्वार्टर या ऑफिस से नहीं, बल्कि अपने घर पर बैठकर संभाल रहे हैं. आप जान कर दंग रह जाएंगे कि प्रोफेसर गुप्ता ने दक्षिण लंदन में एक वन बेडरूम का फ्लैट किराए पर लिया हुआ है. दरअसल ये कोरोना के कारण लगे ट्रैवल बैन के कारण हुआ है.
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खास वैज्ञानिकों में एक
आपको बता दें कि 55 साल के प्रोफेसर संजीव गुप्ता भारतीय मूल के ब्रिटिश भूविज्ञानी हैं. वह लंदन इंपीरियल कॉलेज में भूविज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं. फिलहाल वे नासा के मंगल ग्रह के इस अभियान से जुड़े हैं. गौरतलब है कि वो इस प्रोजेक्ट के उन वैज्ञानिकों में भी एक हैं जो 2027 में मंगल ग्रह से सैंपल लाने के लिए इस अभियान का हिस्सा हैं. ये सैंपल मंगल ग्रह पर जीवन है की संभावित का प्रमाण देगा. इसके लिए आने वाले समय में प्रोफेसर संजीव गुप्ता और उनके साथी पर्सेवरेंस रोवर के लिए मंगल ग्रह पर कई टास्क भी तय करेंगे.
जेट प्रोपल्शन लैब में नहीं होने का मलाल
हालांकि प्रोफेसर गुप्ता को कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैब में नहीं मौजूद होने का मलाल है. गौरतलब है कि प्रोफेसर गुप्ता ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध सेंट क्रॉस कॉलेज से पीएचडी की हुई है. उन्होंने बिना परिवार को परेशान किए बेहतर काम करने के मकसद से दक्षिणी लंदन में अपने घर के पास एक सैलून के ऊपर वन बेडरूम फ्लैट किराये पर लिया है. इसी फ्लैट से वह पर्सेवरेंस रोवर के मिशन का काम कर रहे हैं.
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400 से अधिक वैज्ञानिकों कर रहे वर्क फ्रॉम होम
प्रोफेसर गुप्ता बताते हैं कि इस मिशन से जुड़े हुए 400 से अधिक वैज्ञानिकों में से कई वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं. क्योंकि अभी ट्रैवल बैन है. पर्सेवरेंस रोवर मंगल ग्रह के जजीरो क्रेटर पर लैंड हुआ है. अरबों साल पहले यह क्रेटर किसी क्षुद्रग्रह के मंगल पर टकराने के कारण बना था. वहां पुरानी नदी घाटी और डेल्टा देखा जा सकता है. उन्होंने जानकारी दी कि वह और उनकी टीम रोजारा कई मीटिंग करते हैं और तय करते हैं कि कहां से सैंपल उठाने हैं.
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