सौर मंडल के सबसे बड़े चंद्रमा Ganymede को NASA के Juno ने किया कैमरे में कैद, मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी
मिशन के रेडिएशन मॉनिटरिंग प्रमुख स्कॉट बोल्टन ने बताया कि जूनो आगे भी ऐसी तस्वीरें भेजता रहेगा. इन तस्वीरों की मदद से सबसे बड़े चांद के बारे में जानने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन तस्वीरों से उन्हें चंद्रमा की संरचना, आयनोस्फीयर और मैग्नेटोस्फीयर को समझने में मदद मिलेगी.
वॉशिंगटन: नासा (NASA) के अंतरिक्ष यान जूनो (Juno) ने सौर मंडल के सबसे बड़े चंद्रमा गैनीमेड (Solar System's Largest Moon Ganymede) की तस्वीरें भेजी हैं. जूनो सोमवार को बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमा गैनीमेड की सतह के 645 मील (1,038 किलोमीटर) के भीतर आया और जुपिटर ऑर्बिटर के जूनोकैम इमेजर और इसके स्टेलर रेफरेंस यूनिट स्टार कैमरे की मदद दो तस्वीरें खींचीं. यह पहला मौका है जब गैनीमेड को इतने करीब से देखा गया है.
Planet Mercury से भी है बड़ा
हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA में छपी खबर के अनुसार, गैनीमेड (Ganymede) बृहस्पति के 79 ज्ञात चंद्रमाओं में सबसे बड़ा है. इसके साथ ही यह पूरे सौर मंडल का सबसे बड़ा चन्द्रमा है. गैनीमेड 3,200 मील से अधिक चौड़ा है और यह बुध ग्रह से भी बड़ा है. यह एकमात्र ऐसा चंद्रमा है जो अपने मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) को उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त रूप से बड़ा है. Magnetosphere का मतलब है चुंबकीय क्षेत्र का एक बुलबुला, जो सूर्य से आवेशित कणों को ट्रैप और विक्षेपित करता है.
NASA ने जारी की तस्वीरें
NASA ने मंगलवार को दो तस्वीरें जारी की हैं, जो गैनीमेड की सतह को विस्तार से दिखाती हैं. जिसमें क्रेटर, स्पष्ट रूप से अलग डार्क और ब्राइट टेरेन और लंबी संरचनात्मक विशेषताएं संभवत: टेक्टोनिक दोषों से जुड़ी हुई हैं. एक तस्वीर मुख्य कैमरे जूनोकैम द्वारा खींची गई है, जो ब्लैक एंड व्हाइट है. जबकि दूसरी तस्वीर Stellar Reference Unit कहे जाने वाले नेविगेशन कैमरे से ली गई है. यह कैमरा कम रोशनी में काम कर सकता है और जूनो की उड़ान के दौरान इसने रात के अंधेरे में गैनीमेड को कैद किया.
Moon को समझने में मिलेगी मदद
मिशन के रेडिएशन मॉनिटरिंग प्रमुख स्कॉट बोल्टन ने बताया कि जूनो आगे भी ऐसी तस्वीरें भेजता रहेगा. इन तस्वीरों की मदद से सबसे बड़े चांद के बारे में जानने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान आने वाले दिनों में अपने गैनीमेड फ्लाईबाई से और तस्वीरें भेजेगा. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि फ्लाईबाई से उन्हें चंद्रमा की संरचना, आयनोस्फीयर, मैग्नेटोस्फीयर और बर्फ के गोले को समझने में मदद मिलेगी.
2016 में पहुंचा था Jupiter
नासा का अंतरिक्ष यान जूनो 4 जुलाई, 2016 को बृहस्पति पर पहुंचा था. वर्तमान में यह सूर्य की परिक्रमा करने वाले सबसे बड़े ग्रह के आंतरिक भाग की जांच का अपना प्राथमिक मिशन पूरा कर रहा है. नासा ने इस मिशन को 2025 तक बढ़ा दिया है. जूनो अब बृहस्पति की 42 अतिरिक्त कक्षाएं बनाएगा और उनमें से कुछ कक्षाओं में गैनीमेड के करीबी और बृहस्पति के दो अन्य बड़े चंद्रमा, आईओ और यूरोपा की फ्लाईबाई शामिल होंगी.