मिशन चंद्रमा: नासा विशेष रोबोट के लिए डिजाइन आमंत्रित करेगा
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मिशन चंद्रमा: नासा विशेष रोबोट के लिए डिजाइन आमंत्रित करेगा

अंतरिक्ष केंद्र ह्यूस्टन के सीईओ विलियम हैरिस ने मंगलवार को कहा कि नासा कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले विशेष प्रकार के रोबोट का डिजाइन तैयार करने के लिए आम लोगों और वैज्ञानिक समुदाय के सामने चुनौती पेश करने की योजना बना रहा है.

मनुष्यों को चंद्रमा की सतह पर वापस भेजने के लिए योजनाओं पर काम चल रहा है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: अंतरिक्ष केंद्र ह्यूस्टन के सीईओ विलियम हैरिस ने मंगलवार को कहा कि नासा कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले विशेष प्रकार के रोबोट का डिजाइन तैयार करने के लिए आम लोगों और वैज्ञानिक समुदाय के सामने चुनौती पेश करने की योजना बना रहा है.  यह रोबोट चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटा सकेगा. अमेरिकी ‘‘नासा जॉनसन स्पेस सेंटर’’ से संबद्ध अंतरिक्ष केंद्र ह्यूस्टन नियमित रूप से आम लोगों से संपर्क के लिए कार्यक्रम चलाता है ताकि विभिन्न आयु वर्ग और अलग पृष्ठभूमि वाले लोगों को वैज्ञानिक अनुसंधान से जोड़ा जा सके.

इन कार्यक्रमों में छात्रों और वैज्ञानिकों को उन समस्याओं के हल के लिए अभिनव समाधान पेश करने को प्रोत्साहित किया जाता है जिसका सामना अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी अंतरिक्ष मिशनों के दौरान करती है. हैरिस ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगली चुनौती चंद्रमा के संबंध में है और इसकी घोषणा अगले साल की जाएगी.

उन्होंने कहा कि चुनौती एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त ‘‘सेल्फ-एसेम्बलिंग’’ रोबोट या रोवर विकसित करने की है जो चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी ले कर फैसले कर सके. उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि हमने 1960 के दशक में मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजा तो उनका वहां जाकर सुरक्षित रूप से वापस आना एक बड़ी उपलब्धि थी.

लेकिन हमने उन मिशनों के दौरान बहुत वैज्ञानिक प्रयोग नहीं किए. हैरिस ने कहा कि उस समय अधिकतर अंतरिक्ष यात्री परीक्षण पायलट थे. चंद्रमा की यात्रा करने वाले पहले और एकमात्र वैज्ञानिक हैरिसन श्मिट थे जो भूवैज्ञानिक थे. वह अपोलो 17 मिशन के एकमात्र जीवित सदस्य हैं.

अब नासा जिन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करता है, वे वैज्ञानिक होते हैं. मनुष्यों को चंद्रमा की सतह पर वापस भेजने के लिए योजनाओं पर काम चल रहा है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ऐसी प्रौद्योगिकियों पर काम कर रही है जिनसे चंद्रमा पर वैज्ञानिक प्रयोग करने में अंतरिक्ष यात्रियों को मदद मिल सके. 

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