वह शख्‍स जिसने कहा कि पृथ्वी एक साल में सूर्य का चक्‍कर लगाती है
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वह शख्‍स जिसने कहा कि पृथ्वी एक साल में सूर्य का चक्‍कर लगाती है

आज 24 मई 1543 को महान खगोलशास्‍त्री और गणितज्ञ निकोलस कोपरनिकस का निधन हुआ था.

वह शख्‍स जिसने कहा कि पृथ्वी एक साल में सूर्य का चक्‍कर लगाती है

नई दिल्‍ली: आज 24 मई 1543 को महान खगोलशास्‍त्री और गणितज्ञ निकोलस कोपरनिकस का निधन हुआ था. वे पहले यूूरोपीय खगोलशास्त्री थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर माना था, यानि कि हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया था. 
इसके पहले तक पूरा युरोप अरस्तू की उस अवधारणा पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केन्द्र बताया गया था और सूर्य, तारे तथा दूसरे पिंड के उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाने की बात कही गई थी. 

  1. पोलैंड में जन्मे थे खगोलशास्त्री और गणितज्ञ निकोलस कोपरनिकस 
  2. दुनिया को बताया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है
  3. पृथ्‍वी को सूर्य का चक्‍कर लगाने में एक साल लगने की बात भी बताई

1530 में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स प्रकाशित हुई जिसमें उन्‍होंने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है. इतना ही नहीं कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई.

सैन्‍य नेता और अर्थशास्‍त्री भी थे निकोलस 
खगोलशास्त्री होने के साथ-साथ कोपरनिकस गणितज्ञ, चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर, सैन्य नेता और अर्थशास्त्री भी थे. उन्होंने मुद्रा पर शोध कर ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है. उन्होंने मुद्रा के संख्यात्मक सिद्धांत का फार्मूला दिया. कोपरनिकस के सुझावों ने पोलैंड की सरकार को मुद्रा के स्थायित्व में सहायता प्रदान की.

ये हैं उनके अहम योगदान
कोपरनिकस ने अन्तरिक्ष के बारे में सात नियम दिए, जो उनकी किताब में दर्ज हैं. ये नियम हैं -
सभी खगोलीय पिंड किसी एक निश्चित केन्द्र के परितः नहीं हैं.
पृथ्वी का केन्द्र ब्रह्माण्ड का केन्द्र नहीं है, वह केवल गुरुत्व व चंद्रमा का केन्द्र है. 
सभी गोले (आकाशीय पिंड) सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. इस प्रकार सूर्य ही ब्रह्माण्ड का केन्द्र है.
पृथ्वी की सूर्य से दूरी, पृथ्वी की आकाश की सीमा से दूरी की तुलना में बहुत कम है.
आकाश में हम जो भी गतियां देखते हैं वह दरअसल पृथ्वी की गति के कारण होती हैं. (आंशिक रूप से सत्य)
जो भी हम सूर्य की गति देखते हैं, वह दरअसल पृथ्वी की गति होती है.
जो भी ग्रहों की गति हमें दिखाई देती है, उसके पीछे भी पृथ्वी की गति ही जिम्मेदार होती है.

नंगी आंखों से निहारते थे अंतरिक्ष को 
खास बात यह है कि कोपरनिकस ने ये निष्कर्ष बिना किसी प्रकाशिक यंत्र के उपयोग के प्राप्त किए. वह घंटों नंगी आंखों से अन्तरिक्ष को निहारते रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते रहते थे. बाद में गैलिलियो ने जब दूरदर्शी का आविष्कार किया तब निकोलस के निकाले गए निष्कर्षों की पुष्टि हुई.

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