हो गया खुलासा! ऑफिस में कैसे ठंड से जम जाती हैं महिलाएं?
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हो गया खुलासा! ऑफिस में कैसे ठंड से जम जाती हैं महिलाएं?

यह बात हमेशा से चर्चा का विषय रही है कि ऑफिस में मर्दों के मुकाबले महिलाओं को ठंड ज्यादा लगती है। इस मसले पर कई सर्वे भी हुए है लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकला। लेकिन एक सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

हो गया खुलासा! ऑफिस में कैसे ठंड से जम जाती हैं महिलाएं?

नई दिल्ली: यह बात हमेशा से चर्चा का विषय रही है कि ऑफिस में मर्दों के मुकाबले महिलाओं को ठंड ज्यादा लगती है। इस मसले पर कई सर्वे भी हुए है लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकला। लेकिन एक सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

यह देखने में आता है कि एयर कंडीशनर के जिस तापमान में पुरुष कर्मचारी आराम से काम करते हैं तो उसी तापमान पर महिलाएं ठंड से कंपकपाने लगती है। वह ठंड से जम जमने लगती है। यानी जिस तापमान पर पुरुषों को ठंड नहीं लगती उसी तापमान पर महिलाएं ठंड से असहज महसूस करने लगती है।

एक हालिया सर्वे के मुताबिक इसकी बड़ी वजह यह है कि एसी (एयर कंडीशनर) भी पुरुषों के हिसाब से सेट किए जाते हैं। एक नए सर्वे में दो वैज्ञनिकों ने बताया कि ऑफिस में एसी पुरुषों के शरीर के तापमान के मुताबिक सेट किए जाते हैं। यह सर्वे 'नेचर क्लाइमेट चेंज' जर्नल में छपा है।

सर्वे में कहा गया है कि ज्यादातर इमारतों का थर्मोस्टैट्स वर्ष 1960 में बनाए गए मॉडल पर आधारित है। इस तरीके के मुताबिक हवा का तापमान और उसकी गति, वाष्प का दबाव, क्लौदिंग इन्सुलैशन आदि को ध्यान में रखकर ही उसकी सेटिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में इसका तापमान पुरुषों को तो अनकूल लगता है कि लेकिन महिलाओं के लिए प्रतिकूल बन जाता है।  

इस सर्वे में कहा गया है कि ज्यादातर ऑफिस की इमारतों में काफी पुराने तौर-तरीके के मुताबिक ही तापमान सेट किया जाता है। यह तरीका काफी पहले से चला आ रहा है जिसमें बदलाव की वकालत की गई है। इस तरीके में पुरुषों के मेटाबॉलिक रेट का इस्तेमाल किया जाता है। कहा गया है कि तापमान थोड़ा ज्यादा करने से ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से निपटने में भी मदद मिल सकती है।

बायॉफिजसिस्ट बोरिस किंग्मा के मुताबिक अधिकांश इमारकों में ऊर्जा की काफी ज्यादा खपत होती है क्योंकि इसका स्तर पुरुषों के शरीर से निकलने वाले तापमान के हिसाब से रखा जाता है। अगर ऑफिस में काम करने वाले लोगों के लिए जरूरी तापमान की सही जानकारी हो तो उस हिसाब से इमारत को डिजाइन किया जा सकता हैं। इससे कम ऊर्जा की खपत होगी और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा।

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